'गोविंद सिंह राजपूत का नाम सबसे ऊपर', भूपेंद्र सिंह के बयान पर दिग्विजय सिंह ने ली चुटकी
MP Politics: कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पुराने नेता कांग्रेस से आने वाले नेताओं को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
MP News: एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह के बयान पर चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह जिन कांग्रेस नेताओं को स्वीकार नहीं करने की बात कह रहे हैं, उनमें गोविंद सिंह राजपूत का नाम सबसे ऊपर है. गौरतलब है कि पूर्व मंत्री और खुरई से विधायक भूपेंद्र सिंह के हाल में दिये बयान से हलचल मच गयी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के शासनकाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को पार्षद से लेकर विधायक तक का फॉर्म भरना मुश्किल होता था.
कांग्रेस के नेताओं की दबंगई पिछले लोकसभा चुनाव में देखने को मिली थी. उन्होंने पुलिस के सामने बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था. संबोधन में खुरई विधायक ने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस से आए नेताओं को भले ही पार्टी स्वीकार कर ले लेकिन व्यक्तिगत रूप से मैं कभी नहीं उन्हें स्वीकार नहीं करूंगा. पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के बयान पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने जमकर तालियां बजाई. सोशल मीडिया पर बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह का बयान वायरल हो गया.
भूपेंद्र सिंह के बयान पर क्या बोले दिग्विजय सिंह?
अब कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने भी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पुराने नेता कांग्रेस से आने वाले नेताओं को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. हकीकत अब सबके सामने आ गई है.
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी का पुराना कार्यकर्ता कांग्रेस से आए नेताओं की दबंगई सहन नहीं करेगा. इसका उदाहरण पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के बयान से देखने को मिल रहा है. बीजेपी नेता राजपाल सिंह ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव की घटना याद की.
उन्होंने बताया कि सागर में बीजेपी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने हो गए थे. दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट की घटना हुई थी. मारपीट में बीजेपी के 72 कार्यकर्ता चोटिल हो गये थे. मामला न्यायालय में विचाराधीन है. मारपीट के कई आरोपियों ने वर्तमान में बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे लोगों को लेकर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बयान दिया है. उनका बयान सही अर्थों में ठीक है. एक ही संगठन में शामिल होने के बाद दोनों पक्ष से जुड़े लोगों को बैठाकर समझाइश देने की जरूरत है. जब तक यह नहीं होता है तब तक विवाद खत्म होना मुश्किल है.
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