Madhya Pradesh: सीहोर में अफसरशाही और विधायक के चक्कर में फंसी दिव्यांग महिला, अधिकारी ने मांगा सांसद का लेटर
सीहोर में एक दिव्यांग महिला ई ट्राइसाइकिल के लिए विभागों के चक्कर काट परेशान है. सीहोर विधानसभा क्षेत्र विधायक सुदेश राय भी सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखकर अनुशंसा कर चुके हैं.
केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार है, लेकिन अफसरशाही के सामने जनप्रतिनिधि लाचार साबित नजर आ रहे हैं. जिले में अफसरों की कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री भी खुद नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. मामला सीहोर मुख्यालय का है जहाँ एक दिव्यांग महिला ई ट्राइसाइकिल के लिए विभागों के चक्कर काट परेशान है. सीहोर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक सुदेश राय भी महिला को ई ट्राइसाइकिल दिए जाने हेतु सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखकर अनुशंसा कर चुके हैं.
अफसरों ने विधायक के पत्र को किया खारिज
विधायक ने 19 अगस्त 2021 को दिव्यांग महिला उमा विश्कर्मा के लिए उपसंचालक सामाजिक न्याय सीहोर को विधायक सुदेश राय ने पत्र लिखा था, जिसमें जिक्र किया गया था कि उमा विश्कर्मा पति दिनेश चौरसिया सीहोर निवासी दोनों पैरो से चलने में अक्षम हैं और यह 80% प्रतिशत दिव्यांग है इन्हें इलेक्ट्रॉनिक बैट्री वाली गाड़ी दिए जाने की अनुशंसा की है लेकिन विधायक के लेटर को अफसरों ने खारिज कर दिया और दो माह बाद भी दिव्यांग महिला को बेट्री वाली साईकिल नही मिल पाई है.
भाजपा विधायक करते हैं दिव्यागों का मदद का दावा
भाजपा विधायक सुदेश राय की सरकार दिव्यांगों की मदद के लिए कई योजना चलाने का दावा करती है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ उन तक कितना पहुंच रहा है उसका कोई आंकड़ा नहीं है. जबकि ग्राउंड लेवल पर उसकी हकीकत कुछ और है. खुद सरकारी मदद पाने वाले दिव्यांग सरकारी पैशन मिलने की बात तो स्वीकार करते हैं, लेकिन ट्राई साइकिल के लिए भटक रहे. उमा विश्कर्मा का कहना है कि तीन वर्ष पहले उसे ट्राई साइकिल एक रेत ठेकेदार ने दी थी मै पैदल जमीन पर हाथ टेक टेक कलेक्ट्रेट आ रही थी.
जहाँ टाईपिंग का काम करती है कलेक्ट्रेट के गेट पर बैठकर जिससे मेरे परिवार का पालन पोषण करती है इसी बीच इदौर के रेत ठेकेदार ने मुझे पैदल आते हुए देखा तो मुझे इलेक्ट्रॉनिक साईकिल लगाकर दे गए. जिसकी अब हालत जर्जर हो गई है. उसकी मरम्मत के लिए वह अपनी मेहनत की कमाई लगा चुकी है, लेकिन ट्राई साइकिल सुधरी नहीं है. अब मुझे मेरे दस साल के बेटे के द्वारा टूटी साइकिल पर पीछे से धक्का लगाकर कलेक्ट्रेट छोडने आते और ले जाते है लेकिन कही बार जिला प्रशासन को आवेदन दिया लेकिन आज तक मुझे ट्राईसाइकिल नही मिल पाई.
विधायक का फोन नहीं किया रिसीव
वहीं भाजपा विधायक ने अनुशंसा की थी लेकिन सामाजिक न्याय के अधिकारियों ने मना कर दिया कि विधायक के लेटर से आपको साइकिल नहीं मिलेगी आपको अब सांसद का लेटर लेकर आना पड़ेगा. महिला ट्राईसाइकिल की आस से दूर हो गई क्योंकि भाजपा के विधायक के लेटर से उसको साइकिल नहीं मिल पा रही है तो फिर कैसे सांसद के लेटर से उसको साइकिल मिलेगी सांसद तक पहुंचने के लिए भोपाल जाना पड़ेगा. जब इस पूरे मामले को लेकर हमने विधायक सुदेश राय से चर्चा करना चाही फोन पर तो उन्होने फोन रिसीव नहीं किया.
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