Diwali 2022: महाकाल दरबार में मनेगी सबसे पहले दिवाली, इसके बाद देश भर के मंदिरों में अन्नकूट का होगा आयोजन
Madhya Pradesh: महाकाल के दरबार में विश्व में सबसे पहले दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. ठंड का मौसम शुरू हो गया है, इसलिए दिवाली पर्व पर भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा.
MP Diwali News: देशभर में दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन चौघड़िया और मुहूर्त देखकर किया जाता है. विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर जिस घड़ी में पूजा होती है वही मुहूर्त और चौघड़िया शुभ हो जाता है. ऐसे राजाधिराज महाकाल की चौखट पर काल भी शीश नवाने आता है. महाकाल के दरबार में विश्व में सबसे पहले दिवाली का पर्व मनाया जाएगा.
सबसे पहले महाकाल दरबार में दिवाली मनेगी
महाकालेश्वर मंदिर के पुरोहित भूषण गुरू के मुताबिक विश्व में सबसे पहले दिवाली का पर्व महाकाल के दरबार में मनाया जाता है. क्योंकि ठंड का मौसम शुरू हो गया है, इसलिए दिवाली पर्व पर भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा. इसके बाद चंदन, भांग और सूखे मेवे से उनका श्रृंगार होगा. इसके बाद विश्व प्रसिद्ध भस्म आरती होगी.
भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल के मंदिर में फुलझड़ी और पटाखे जलाए जाएंगे. विश्व में सबसे पहले सभी त्यौहार की शुरुआत महाकाल के दरबार से होती है. इसके बाद विश्व भर में त्यौहार मनाया जाता है. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है.
इस बार भी पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जाएगा. पंडित राम गुरु के मुताबिक महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले दिवाली पर्व पर अन्नकूट भी लगाया जाता है. इसके पश्चात देश भर के मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन होता है.
महाकाल के दरबार में केवल 'समकाल'
भूषण गुरु के मुताबिक महाकाल के दरबार में कोई काल नहीं चलता है, यहां सभी काल समान है. मंदिर में निर्धारित समय पर भस्म आरती, प्रातः कालीन आरती, भोग आरती, संध्याकालीन और शयन आरती होती है. महाकालेश्वर मंदिर में किसी भी पर्व को मुहूर्त देखकर नहीं मनाया जाता है.
सभी पूजा और त्यौहार का समय निर्धारित है, उसी समय पर परंपराओं का निर्वहन होता है. पंडित आशीष गुरु के मुताबिक महाकाल के दरबार में प्राचीन काल से ही सबसे पहले त्यौहार मनाने की परंपरा है. भगवान महाकाल को तीनों लोकों का राजा माना जाता है, इसलिए राजा पहले त्यौहार का आगाज करते हैं इसके बाद विश्व भर में त्यौहार मनाया जाता है.