MP News: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में ऋतु के मुताबिक परंपराओं का निर्माण किया जाता है. दिवाली पर्व पर भगवान महाकाल को अभ्यंग स्नान शुरू किया जाता है, जोकी पूरी शरद ऋतु में चलता है. भगवान महाकाल को चंदन और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार किए गए उबटन को लगाकर स्नान कराया जाता है. उज्जैन (Ujjain) के महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को रूप चौदस के साथ-साथ दिवाली भी मनाई गई.


महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि दिवाली पर्व पर भगवान महाकाल को अभ्यंग स्नान कराया जाता है, क्योंकि दिवाली पर्व और रूप चौदस से एक साथ है, इसलिए रविवार को भगवान महाकाल को भस्म आरती के बाद होने वाली आरती के पहले चंदन और जड़ी बूटियां से तैयार किए गए लैप को लगाकर स्नान कराया गया. इस अभ्यंग स्नान का शास्त्रों में काफी महत्व बताया गया है. 


महाकाल मंदिर में होने वाली आरतियों में समय बदला


अभ्यंग स्नान के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर आते हैं. पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में ऋतु के अनुसार भगवान की पूजा अर्चना और स्नान का प्रावधान है. शीत ऋतु में भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया जाता है. शीत ऋतु खत्म होने तक यह परंपरा जारी रहेगी. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः कालीन भस्म आरती से शुरू होकर रात्रि कालीन आरती तक कई बार पूजन होता है. पंडित महेश पुजारी के मुताबिक वर्तमान में आरतियों के समय में परिवर्तन किया गया है. 


पंडित महेश पुजारी ने बताया कि हालांकि भस्म आरती के समय में कोई परिवर्तन नहीं होता है, जबकि प्रातः 7:00 बजे होने वाली आरती को 7:30 बजे किया जा रहा है. इसके बाद सुबह 10:00 बजे होने वाली भोग आरती को 10:30 बजे किया जाता है. इसी प्रकार शाम 7:00 बजे होने वाली संध्याकालीन आरती को 6:30 बजे के समय पर किया जा रहा है, जबकि शयनकालीन आरती में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. शयनकालीन आरती रात 10:30 बजे ही प्रतिदिन होती है.


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