Diwali 2023: आस्था पर अंधविश्वास भारी? MP के इस जिले में लोगों को रौंदते हुए गुजरती हैं सैंकड़ों गायें
Ujjain News: मध्य प्रदेश के कई गांव में दीपावली पर्व के बाद अंधविश्वास के चलते ऐसी परंपराओं को निभाया जाता है, जो जान का जोखिम उठाकर पूरी की जाती है. उज्जैन जिले के कई गांव भी इसी में शामिल हैं.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के कई गांव में दीपावली पर्व के दूसरे दिन ऐसी अंधविश्वास की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है, जिसमें कई लोग घायल तक हो जाते हैं. उज्जैन जिले के भिड़ावद, लोहारिया में लोग गांव की मुख्य मार्ग पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से सैकड़ों गायों को गुजर जाता है. गोवर्धन पूजा के नाम पर इन परंपराओं का लंबे समय से निर्वहन किया जा रहा है.
दरअसल, ग्रामीण सपना विश्वकर्मा का कहना है कि, पुरानी मान्यता है कि यदि वह इन परंपराओं का निर्वहन करते हैं तो गांव पर कोई आपदा नहीं आती है. इसके अलावा लोग मन्नत भी मांगते और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वह इस परंपरा का हिस्सा बन जाते हैं. उज्जैन जिले के भिड़ावद में भी लोग जान का जोखिम उठाकर अंधविश्वास के चलते इन परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं.
दिवाली के पांच दिन पहले से शुरू होती है पूजा
वहीं लोगों का कहना है कि, दीपावली के पांच दिन पहले से ही पशुओं की पूजा शुरू की जाती है. इसके बाद दीपावली के अगले दिन सुबह लोग ढोल धमाके के साथ गांव के मुख्य मार्ग पर एकत्रित हो जाते हैं. इसके बाद कुछ लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से मवेशियों को गुजारा जाता है. मन्नत में शामिल हुए राजेश का कहना है कि, सबकी खुशी और मन्नत पूरी करने के लिए वे इस परंपरा का हिस्सा बने हैं. उन्हें किसी प्रकार की कोई चोट नहीं लगी है. भगवान का नाम लेकर जो भी आयोजन का हिस्सा बनता है उसकी मनोकामना पूरी होती है.
गांव गौरी पूजा का दिया है नाम
ग्रामीण राधेश्याम ने बताया कि, इस अनूठी परंपरा को गांव गौरी पूजा का नाम दिया गया है. गांव गौरी पूजा में शामिल होने वाले लोग नियम और संयम का पालन करते हैं, जो लोग मुख्य मार्ग पर पशुओं के सामने लेटते हैं वह भी कई दिनों पहले से पूजा अर्चना में जुट जाते हैं. वैसे तो इस परंपरा को निभाने में कोई गंभीर घायल नहीं हुआ है, मगर लोगों को थोड़ी चोट भी आ जाती है.