Murder of Tiger: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में बाघ के शिकार मामले में एसटीआर प्रबंधन अब तक भी खाली हाथ है. हालांकि बाघ के शव मिलने के 11 दिन बाद बाघ की खोपड़ी मिली है. एसटीआर बाघ के शिकारियों को खोजने के लिए अब डॉग स्क्वायड (खोजी कु्त्तों) की मदद ले रहा है.सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के शेर का शव 25 जून को मिला था. वहीं वन मामलों के जानकार वन विभाग के इन दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
आपको बता दें कि 12 दिन पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ग्राम धांसई में एक बाघ का शव मिला था. शव मिलने के 11 दिन बाघ की खोपड़ी मिली है. इसकी सूचना मिलते ही मौके पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर संदीप फेलोज, डॉग स्क्वाट की टीम मौके पर पहुंची. एसटीआर प्रबंधन द्वारा कयास लगाए जा रहे हैं कि यह खोपड़ी उसी बाघ की है जिसका धड़ 25 जून को मिला था.
खोजी कुत्ते खोज रहे हैं शिकारी
टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम चूरना परिक्षेत्र डबरा बीट में बाघ शिकार प्रकरण की जांच सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एवं एसटीसीएफ जांच दल द्वारा द्वारा की जा रही है. जांच दल वन क्षेत्र, राजस्व क्षेत्र और गांवों में गश्ती और पूछताछ कर रहा है. हालांकि 12 दिन बाद भी एसटीआर प्रबंधन इस मामले में खाली हाथ है. दल अब तक शिकारियों तक नहीं पहुंच सका है. शिकारियों की तलाश के लिए अब एसटीआर प्रबंधन स्थानीय पुलिस की भी मदद ले रहा है.
बाघ की खोपड़ी मिलने की सूचना मिलते ही उप संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम, अधीक्षक बोरी अभयारण्य इटारसी और परिक्षेत्र अधिकारी तवा बफर ने तत्काल मौके पर पहुंचे कर स्थल का निरीक्षण किया. टाइगर के कटे हुए सिर और अन्य अवयवों को जब्त किया गया है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और रातापानी के डॉग स्क्वायड ने घटनास्थल की जांच की है. डॉग स्क्वायड ने धांसई गांव के कुछ स्थलों को चिन्हित किया है. जिसकी विवेचना की जा रही है. क्षेत्र संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम ने बताया कि वन्य प्राणी चिकित्सक रातापानी द्वारा मृत टाइगर के सर का परीक्षण एवं माप और बाल,मांस के सैंपल लेकर सील कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कटे हुए सिर और अन्य सैम्पल को वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एण्ड हेल्थ सेंटर जबलपुर को परीक्षण के लिए भेज दिया गया है.
क्या कहना है वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट का
इस पूरे मामले पर वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में शिकार हुए बाघ का धंसई गेट पर खराब हालत में सिर मिलने का दावा फॉरेस्ट ने किया है.दुबे का कहना है कि वन विभाग का यह दावा विश्वासनीय नहीं है. उन्होंने कहा कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने अपने बयान में कहा है कि सुबह श्रमिक ने पेट्रोलिंग के समय कुत्तों को टाइगर के सिर का मांस खाते देखा. दुबे ने सवाल किया कि कुत्तों का वीडियो और फोटो कहा है? उन्होंने कोर एरिया में कुत्तों के आने पर भी सवाल उठाए.इसके अलावा उन्होंने कहा कि 10-15 दिन पुराना टाइगर का मांस कुत्ते कैसे खा रहे थे?
उन्होंने कहा कि वन विभाग का दावा है कि सतपुड़ा डीडी संदीप फेलोज और दूसरे अफसर तत्काल कैसे पहुंच गए, क्योंकि फॉरेस्ट रिपोर्ट अनुसार बाघ के शिकार की सूचना 25 जून को मिलने पर अफसर 18 घंटे बाद पहुंचे थे.उन्होंने सिर किसी और का होने की आशंका जताई.उन्होंने कहा कि शिकारी 12 दिन से फरार हैं, इसलिए वैज्ञानिक रिपोर्ट के पहले फॉरेस्ट का दावा भरोसे योग्य नहीं है. बाघ के शिकार का मुद्दा राष्ट्र स्तर पर उठने और फॉरेस्ट की पूछताछ के बाद आदिवासी युवक की आत्महत्या से यह सब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और शिकारी की मिलीभगत से केस को दफन करने की साजिश लग रही है.
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