Vijayadashami 2022: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदुओं का खास त्योहार है. धूमधाम के साथ दशहरा पर्व को देशभर में मनाया जाता है. दशहरा पर हर साल रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. मगर इंदौर में एक परिवार रावण की पूजा करता आ रहा है. परदेशीपुरा क्षेत्र के गौहर नगर में रावण का मंदिर है. इंदौर का लंकेश्वर महादेव मंदिर विजयादशमी पर शहर में आकर्षण का केंद्र रहता है. रावण के मंदिर को 30 सदस्यीय गौहर परिवार ने स्थापित किया है. मंदिर में दशानन की प्रतिमा को 2010 के दसवें महीने में ठीक 10 बजकर 10 मिनट और 10 सेकंड पर स्थापित किया गया था. तब से मंदिर में रोजाना सुबह इसी समय रावण की विशेष पूजा होती है.


30 सदस्यीय परिवार रावण की भक्ति में रहता है लीन


गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर का कहना है कि साल 1966 में मामा की बारात में मंदसौर गए थे. मंदसौर में विवाह की रस्म के दौरान रावण का पूजन दूल्हा और दुल्हन ने किया था. तब से उनके मन में जिज्ञासा थी कि रावण पर रिसर्च किया जाए. रिसर्च के दौरान पाया कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ भगवान शिव का अवतार है. ऐसे में रावण का दहन करने के बजाए उसकी पूजा होनी चाहिये. उसके बाद 1969 से गौहर परिवार रावण की पूजा करने लगा. अब आलम ये है कि 30 सदस्यीय परिवार रावण की भक्ति में लीन रहता है.


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विशेष पूजा के दौरान मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं 


रावण भक्त महेश गौहर के नजदीक रावण को बुराई का प्रतीक मानने पर आपत्ति नहीं है. रावण को मानने वाले गौहर परिवार में बच्चों के नाम लंकेश, मेघनाथ और चंद्रघंटा (शूर्पणखा) है. महेश गौहर का दावा है कि रावण के मंदिर में मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान, बिहार और अन्य प्रदेशों से लोग दर्शन करने आते हैं. विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया के दौरान मंदिर में भक्तों को प्रवेश की इजाजत नहीं होती. गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर खुद पूजा कर समूचे कर्मकांड को अंजाम देते हैं. बताया जाता है कि 10 बजकर 10 मिनट और 10 सेकंड पर रावण की पूजा का महत्व है.




कोर्ट से दशहरा के दिन रावण दहन पर रोक की मांग


विजयादशमी के अवसर पर रावण दहन किया जाता है. रावण दहन को देखने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. रावण भक्त महेश गौहर ने इंदौर की कोर्ट में एक परिवाद भी दाखिला किया है. कोर्ट से मांग की गई है कि दशहरा के दिन होनेवाले रावण दहन पर रोक लगाई जाए. हर सुनवाई पर नई तारीख मिल जाती है. उन्होंने बताया कि एक बार जिरह के दौरान जज ने टिप्पणी की थी कि रावण दहन देश की बड़ी परंपरा है. उनसे पूछा गया कि परंपरा को कैसे बदलना चाहते हो? 


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