Dussehra 2024: विजयादशमी के अवसर पर हर शहर में रावण का पुतला बनाकर, उसका दहन किया जाता है. शहर भर से उसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. हालांकि, इंदौर में एक मंदिर ऐसा है, जो विजयादशमी के अवसर पर आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां रावण दहन नहीं, बल्कि उसकी पूजा होती है. इस मंदिर का नाम है- लंकेश्वर महादेव मंदिर.


इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र के गौहर नगर में रावण का मंदिर है और यहां दशानन की प्रतिमा को 10-10-2010 को ठीक 10 बज कर 10 मिनट और 10 सेकंड पर स्थापित किया गया था. रावण के मंदिर को 30 सदस्यीय गौहर परिवार ने स्थापित किया है. तब से ही मंदिर में हर रोज सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर रावण की विशेष पूजा की जाती है. 


रावण की भक्ति में लीन है ये परिवार
गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर के अनुसार साल 1966 में वो अपने मामा की बारात में मंदसौर गए थे जहां विवाह रस्म के दौरान रावण का पूजन दूल्हा और दुल्हन ने किया था. तब से ही जिज्ञासावश उन्होंने रावण पर रिसर्च की तो पाया कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का अवतार हैं. ऐसे में रावण के दहन के बजाय पूजन होना चाहिये. इसके बाद 1969 से ही उनके परिवार द्वारा रावण को पूजा जाता है. अब तो आलम ये है कि 30 सदस्यीय परिवार रावण की भक्ति में लीन है.


रावण के मंदिर में होती है तांत्रिक क्रिया भी
मंदिर के संस्थापक महेश गौहर बताते हैं कि रावण माता सीता के पिता थे. ऐसे में उन्हें बुराई का प्रतीक नहीं माना जाना चाहिए. जो बुराई का प्रतीक मानते हैं, उनका भी भला हो. हमारे द्वारा तो परिवार में बच्चों के नाम लंकेश, मेघनाथ और चन्द्रघटा (सुरपंखा) रखा है. महेश गौहर के मुताबिक, उनके वहां मंदिर में न सिर्फ इंदौर बल्कि मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान, बिहार और अन्य प्रदेशों से लोग रावण दर्शन के लिए आते हैं. 


वहीं, वो खुद विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया भी रावण के मंदिर में करते हैं. हालांकि, इस दौरान अन्य भक्तों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं होती.




रावण को जलाने वालों की मुश्किलें बढ़ने का दावा
बता दें कि 10 बजकर 10 मिनट और 10 सेकंड पर रावण की पूजा का महत्व इसलिए है, क्योंकि रावण दशगिरी दशानन स्वरूप में इंदौर में विराजित हैं. फिलहाल, सारे देश मे रावण को बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जाता हो, लेकिन इंदौर के गौहर परिवार का मानना है कि लंकेश को जिसने भी जलाया है, उसके जीवन मे मुश्किलें बढ़ी हैं और जो लंकेश की शरण में होता है, उसका पूरा परिवार सुखमय और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन व्यतीत करता है.