Indore News: रामबाग मुक्तिधाम में लगा इको फ्रेंडली स्वर्गारोहण शवदाह गृह, 100 किलो लकड़ी में होगा अंतिम संस्कार
Ascension Crematorium: मध्य प्रदेश के इंदौर में नए तकनीक का इस्तेमाल कर के इको फ्रेंडली स्वर्गरोहण शवदाह गृह बनाया गया है. इसको गुजरात की एक कंपनी ने बनाया है. जिसे रामबाग मुक्तिधाम में लगा गया है.
Rambagh Muktidham: इंदौर में इको फ्रेंडली स्वर्गारोहण शवदाह गृह स्थापित किया गया. शुक्रवार (19 जनवरी) की सुबह यह शवदाह गृह लोकार्पित कर समाज को समर्पित कर दिया गया. जानकारी देते हुए मराठी सोशल ग्रुप ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधीर दांडेकर ने बताया कि यह शवदाह गृह गुजरात की कंपनी ने बनाया है. आधुनिक शवदाह गृह पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहद कारगर है. सामान्य तौर पर एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में 300 किलो लकड़ी लगती है, लेकिन ये ऐसा शवदाह गृह है जहां 80 से 100 किलो लकड़ी में ही अंतिम संस्कार विधिवत तरीके से पूरा हो जाता है. जो इकाई यहां स्थापित की गई है वह उन्ननत तकनीक पर आधारित दाह संस्कार की विधि है, जिसमें हमारे हिन्दू रीती रिवाज और रस्म भी पुरे होते हैं और कपाल क्रिया और शरीर पर घृत लेपन भी किया जा सकता है.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें 80 से 100 किलो लकड़ी में ही अंतिम संस्कार विधिवत तरीके से पूरा हो जाता है, जबकि सामान्य पद्धति से करीब 3 या 4 क्विंटल लकड़ी लगती है. इस तरह से लकड़ी के एक चौथाई भाग में ही अंतिम संस्कार विधिवत तरीके से पूरा हो जाता है. इससे बची हुई लकड़ी से 3 या 4 अन्य शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा. इसमें एक ब्लोअर लगा हुआ है, जो आंच का अधिकतम उपयोग शवदाह के लिए करेगा ये ब्लोअर थोड़ी देर चलेगा और अपने आप बंद हो जायेगा. सामान्यतः पारंपरिक तरीकों में खुले में शवदाह किया जाता है, जिससे आंच टीनशेड को गर्म करके कुछ समय बाद खराब कर देती है लेकिन इसमें ऐसा नुक्सान नहीं होगा.
चार गुना कम होगा प्रदूषण
ट्रस्ट के ही डॉ. प्रदीप पाटीदार ने बताया कि इंदौर में मराठी सोशल ग्रुप ट्रस्ट की पहल पर इको फ्रेंडली स्वर्गारोहण शवदाह गृह स्थापित किया गया.आधुनिक शवदाह गृह पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहद कारगर है. इससे अब चार गुना तक प्रदूषण कम होगा. अगर इंदौर के सभी मुक्तिधाम में इस तरह की इकाई स्थापित कर दी जाए तो कई क्विंटल लकड़ी रोजाना बचाई जा सकती है और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को कम किया जा सकता है. इंदौर के अन्य मुक्ति धामों में भी यह पहल शुरू होना चाहिए. इसके अलावा इस इकाई में एक दिन में 3 शवदाह किये जा सकते हैं. जिससे करीब 7 हजार रुपए का कार्बन क्रेडिट प्रतिदिन नगर निगम को मिल सकता है.
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