MP Elections 2023: शोले फिल्म के हीरो अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की 'जय-वीरू' की जोड़ी इन दिनों मध्य प्रदेश के चुनाव प्रचार में जबरदस्त सुनाई दे रही है. असली 'जय-वीरू' बनने और 'जय-वीरू' के चोर होने के संकेत देने वाले बयान नेताओं द्वारा खूब दिए जा रहे हैं. इसे लेकर पीएससी के चीफ कमलनाथ (Kamal Nath), केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), दिमनी से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के अलग-अलग बयान सामने आ चुके हैं.


मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति के असली 'जय-वीरू' कौन हैं, इस पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग लगातार जारी है. गुरुवार को इस फिल्मी बहस में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के साथ कांग्रेस नेता कमलनाथ भी कूद पड़े. यहां बताते चले कि सबसे पहले कांग्रेस के महासचिव रणजीत सिंह सुरजेवाला ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को 'जय-वीरू' की जोड़ी बताया था.


नरेंद्र तोमर ने क्या कहा?
दिमनी में मीडिया से चर्चा के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया कि वो (कमलनाथ-दिग्विजय) जय-वीरू आज बने हैं, हम लोग (तोमर-शिवराज) तो कई दिनों से हैं. वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पब्लिक से कहलवाया कि 'जय-वीरू' तो चोर हैं. सिंधिया ने मैहर की जन सभा में कहा कि बड़े भाई और छोटे भाई ने भ्रष्टाचार किया. वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया. प्रदेश में तो उद्योग नहीं लाए, लेकिन नया उद्योग ले आए, ट्रांसफर उद्योग का. जब सिंधिया ने पब्लिक की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि फिल्म में जय-वीरू का क्या रोल था, तब पब्लिक से आवाज आई चोर हैं.


इसी तरह जबलपुर में मीडिया से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शोले फिल्म के जय-वीरू की आड़ में कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर जमकर तंज किया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में इन दिनों कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह 'जय-वीरू' के रूप में घूम रहें हैं. हम सभी ने शोले फिल्म देखी है. सभी को पता है कि 'जय-वीरू' कौन थे और उनकी कहानी कहां से शुरू होती है, यह हम सबको पता है.


कमलनाथ ने किया पलटवार
वहीं 'जय-वीरू' वाले मुद्दे पर बीजेपी नेताओं के आरोपों का जवाब पीएससी के कमलनाथ ने दिया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (एक्स) पर लिखा, "मध्य प्रदेश की जनता चाहती है कि उसके मुद्दों पर चर्चा हो, लेकिन बीजेपी के नेताओं को फिल्मी बातें सूझ रही हैं. शिवराज जी की अदाकारी तो पहले से ही मशहूर है, अब नरेंद्र तोमर जी भी फिल्मी पात्रों पर शोध कर रहे हैं. बेहतर होगा बीजेपी एक आपात बैठक बुलाकर यह तय कर ले कि उनके यहां कौन गब्बर है और कौन सांभा. एक ही बार में सबको फिल्मी नाम दे दिए जाएं, ताकि बाकी समय जनता के मुद्दों पर भी बीजेपी सोच सके."



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