MP: फर्जी ड्रंक एंड ड्राइव चालान मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को HC से राहत, अब क्या होगा?
MP News: फर्जी ड्रंक एंड ड्राइव चालान मामले में एक डीसीपी, एसएचओ सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए निचली अदालत के आदेश पर एमपी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी.
MP Latest News: फर्जी ड्रंक एंड ड्राइव चालान मामले में एक डीसीपी और एक एसएचओ सहित आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर मध्य प्रदेश की इंदौर खंडपीठ ने बुधवार को रोक लगा दी. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को तय की गई है.
फर्जी चालान पेश करने के एक मामले में DCP सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 200, 203, 218, 465, 468, 471 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए एमआईजी पुलिस को लिखा था.
छह कांस्टेबलों के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप
फर्जी ड्रंक एंड ड्राइव चालान मामले में एक डीसीपी और एक एसएचओ सहित आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बुधवार को रोक लगा दी. जिला न्यायालय ने हाल ही में डीसीपी (जोन-2) अभिनय विश्वकर्मा, लसूड़िया थाना प्रभारी तारेश कुमार सोनी और छह कांस्टेबलों के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ करने और दो लोगों को शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में आरोपी के तौर पर पेश करने और चालान से असली आरोपियों का नाम हटाने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे.न्यायालय ने एमआईजी थाने को भी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 200, 203, 218, 465, 468, 471 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा था.
निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए थाना प्रभारी
निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए थाना प्रभारी सोनी ने हाईकोर्ट की शरण ली और कहा कि रिकॉर्ड में कथित छेड़छाड़ और टाइपोग्राफिकल त्रुटियों के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे ट्रायल कोर्ट के जज ने गंभीरता से लिया है और निर्देश दिया है कि न केवल एफआईआर दर्ज की जाए, बल्कि चार्जशीट भी दाखिल की जाए.याचिका कर्ता के वकील विभोर खंडेलवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 197 का हवाला भी नहीं दिया, जिसके तहत जजों और सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य है.
आपको बता दें कि खंडेलवाल के मुताबिक मामले में निचली अदालत ने निर्देश दिया है कि न केवल उन व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए, जिनके खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही का आरोप लगाया गया है, बल्कि वर्तमान याचिकाकर्ता सहित संबंधित पुलिस स्टेशन ज़ोन के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाए, जो न तो मौके पर मौजूद थे और न ही लसूड़िया पुलिस थाने के अन्य पुलिसकर्मियों के उपरोक्त कृत्य में उनकी कोई भूमिका थी. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को तय की गई है.
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