Bhairavgarh Central Jail: जेल में फोन और चरस पहुंचाने के मामले में 4 जेलकर्मियों पर केस दर्ज, ऐसे ले जाते थे मोबाइल
वहीं जेल में चरस ले जाते पकड़े गए यश कहार, शाहरुख और बलराम नामक जेल प्रहरियों के खिलाफ भी जेल अधीक्षक उषा राज ने भैरवगढ़ थाने में शिकायत की थी. अभी चारों जेल कर्मी फरार हैं.
Bhairavgarh Central Jail: मध्य प्रदेश सरकार का जेल विभाग जेल में बंद कैदियों को सुधारने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है, मगर जेल विभाग के कर्मचारी ही सरकार की सारी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. दरअसल उज्जैन डिवीजन की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली सेंट्रल जेल भैरवगढ़ में मोबाइल फोन और चरस ले जाने के मामले में जेल विभाग के 4 कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. अभी चारों जेलकर्मी फरार बताए जा रहे हैं.
जेल अधीक्षक उषा राज ने बताया कि जेल कर्मचारी महबूब जेल के अंदर मोबाइल ले जाते हुए पकड़ा गया. जेलकर्मी महबूब जेल के अंदर नया मोबाइल और नया सिम कार्ड ले जा रहा था. जब उसे रोककर पूछताछ की गई तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. जेल में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है. यह आशंका जताई जा रही है कि जेल कर्मचारी अंदर कैदियों को यह मोबाइल देने के लिए जा रहा था.
इससे पहले जेल में चरस ले जाते पकड़े गए थे 3 प्रहरी
वहीं जेल में चरस ले जाते पकड़े गए यश कहार, शाहरुख और बलराम नामक जेल प्रहरियों के खिलाफ भी जेल अधीक्षक उषा राज ने भैरवगढ़ थाने में शिकायत की थी. जेल कर्मचारी संतोष की शिकायत पर चारों जेल कर्मचारियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया है. भैरवगढ़ थाना पुलिस ने बताया कि अभी चारों जेल कर्मी फरार हैं, उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.
उज्जैन की घटना से जेल विभाग चिंतित
जेल विभाग के आला अधिकारी भी इन घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. उज्जैन पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि चरस और मोबाइल पकड़े जाने के मामले में जेल विभाग के आला अधिकारियों से बातचीत हुई है. इस मामले में भैरवगढ़ थाने में दो एफआईआर दर्ज की गई है. आरोपियों को पकड़ने के बाद उनसे पूछा जाएगा कि वह यह सब कुछ किसके कहने पर और क्यों कर रहे थे ? इसके अलावा मादक पदार्थों के हासिल करने का जरिया भी पता किया जाएगा.
क्या कहते हैं कानून के जानकार?
क्रिमिनल लॉयर वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक वर्तमान समय में जेल में चल रहे घटनाक्रम सुनने में काफी चौंकाने वाले हैं. उन्होंने बताया कि मादक पदार्थों की सप्लाई के मामले में जेल प्रशासन को उसी समय पुलिस को सूचना देना थी, जब जेल कर्मियों को पकड़ा गया था. मादक पदार्थों के तस्करी के मामले गंभीर होते हैं. ऐसी स्थिति में आरोपियों पर दोष साबित करने के लिए उनसे जब्ती और तत्काल कार्रवाई काफी महत्व रखती है. जेल प्रशासन ने एफआईआर तो दर्ज करवा दी मगर कार्रवाई में थोड़ी देरी जरूर हुई है, अगर उसी समय पुलिस को सूचना मिल जाती तो सभी आरोपी रंगे हाथ पकड़े भी जाते.
ये भी पढ़ें-