MP: मध्य प्रदेश में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों की ड्रोन से की जाएगी पेट्रोलिंग, जानिए- कब से होगी शुरुआत?
ड्रोन पेट्रोलिंग से दुर्गम भौगोलिक स्थिति में स्थापित टावरों की टॉप मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी. प्रिवेन्टिव मेंनटेनेंस में भी समय पर छोटे से छोटे फॉल्ट की भी मॉनिटरिंग कर सुधार प्रक्रिया की जा सकेगी.
MP News: मध्य प्रदेश में बिजली लाइनों के रखरखाव और निगरानी व्यवस्था में पहली बार ड्रोन तकनीक (Drone Technology) का इस्तेमाल होने जा रहा है. मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (Madhya Pradesh Power Transmission Company) 220 kW की अति उच्चदाब लाइनों की पेट्रोलिंग ड्रोन से करवाने जा रही है. पायलेट प्रोजेक्ट में मिली सफलता के बाद मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने फैसला किया है. पहले चरण की शुरुआत 220 kW अति उच्चदाब लाइनों के टावरों से हो रही है. बाद में 400 और 132 kW की अति उच्चदाब लाइनों की ड्रोन पेट्रोलिंग की जायेगी. कंपनी के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने जबलपुर (Jabalpur) में पत्रकारों को जानकारी दी.
देश में पहली बार बिजली ट्रांसमिशन लाइनों की ड्रोन पेट्रोलिंग
उन्होंने बताया कि कंपनी पहले चरण में मध्य प्रदेश की क्रियाशील 2850 किलोमीटर लंबी लाइनों के लगभग 10,000 टावरों की टॉप पेट्रोलिंग कर डाटा एकत्रित करेगी. प्राप्त डाटा का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साफ्टवेयर के माध्यम से सूक्ष्म अन्वेषण किया जायेगा. कार्य अगले माह अक्टूबर से शुरू कर मार्च 2023 तक पूरे किए जाने का लक्ष्य है.
ड्रोन पेट्रोलिंग से दुर्गम भौगोलिक स्थिति में स्थापित टावरों की टॉप मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी. साथ ही किसी लाइन के फॉल्ट होने पर ड्रोन से प्राप्त टावरों, लाइन की फोटो और विडियोग्राफी का तुंरत अन्वेषण कर फॉल्ट दुरूस्त किया जा सकेगा. इससे ब्रेकडाउन समय में उल्लेखनीय कमी आ सकेगी. इसके अलावा प्रिवेन्टिव मेंनटेनेंस में भी समय पर छोटे से छोटे फॉल्ट की भी मॉनिटरिंग कर आवश्यक सुधार प्रक्रिया की जा सकेगी.
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मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने क्यों किया बड़ा फैसला?
कंपनी के मुख्य अभियंता (मानव संसाधन एवं प्रशासन ) संदीप गायकवाड के मुताबिक मध्यप्रदेश प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्रदेश में स्थापित 39 हजार 572 सर्किट किलोमीटर लंबी अति उच्च दाब लाइनों के 79 हजार 915 अति उच्च दाब टावरों के सहारे विद्युत पारेषण करती है. पहाड़ों, नदी, तालाबों सहित अनेक दुर्गम भौगोलिक इलाकों से गुजरने वाली इन लाइनों के समय पर उचित रखरखाव के लिए एडवांस और प्रभावी तकनीक का उपयोग करना जरूरी हो गया था, ताकि शासन की नीति के अनुसार सातों दिन और 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
प्रदेश की 35 वर्ष पुरानी लगभग 100 लाइनों की मॉनिटरिंग के लिए मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी पहली बार ड्रोन पेट्रोलिंग का इस्तेमाल कर रही है. कंपनी में अति उच्च दाब संधारण के मुख्य अभियंता राजीव सिंह बघेल और मुख्य अभियंता परीक्षण एवं संचार अतुल जोशी ने बताया कि टावरों की ड्रोन पेट्रोलिंग से प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर जंग लगे एवं मिसिंग टावर पार्ट्स को चिह्नित कर सुधार कार्य समय पर संभव हो सकेगा.