Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश के दमोह में गांव वालों ने अपने निस्तार के लिए भूमि दान करके जो तालाब बनवाया था, अब उसमें उन्हें नहीं जाने दिया जा रहा है. राज्य के मछली पालन विभाग ने तालाब को ठेके पर देकर गांव वालों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. अब गांव वालों ने मछली पालन विभाग के इस तुगलकी आदेश को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ में चुनौती दी.
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने गांव वालों की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. दमोह जिले की हटा तहसील के गांव विनती निवासी सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राज्य के मछली पालन विभाग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अतुलानंद अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि यह तालाब गांव वालों द्वारा दान की गई भूमि पर खुदवाया गया था. तालाब तकरीबन 15 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें गांव वालों के साथ कुछ-कुछ शासकीय भूमि भी है.
तालाबों को मछली पालन या सिंघाड़े की खेती के लिए दिया जा रह है ठेके पर
गौरतलब है कि हाल ही में राज्य सरकार ने तय किया है कि प्रदेश में जितने भी तालाब हैं, उन्हें मछली पालन या सिंघाड़े की खेती के लिए ठेके पर दिया जाएगा. इसके लिए इन तालाबों को राजस्व विभाग से मछली पालन विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया. विनती गांव के तालाब को भी मछली पालन के लिए ठेके पर दे दिया गया. इसके साथ ही विभाग ने तालाब में गांव वालों के निस्तार पर भी रोक लगा दी है.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और विजय शुक्ला ने करीब पांच हजार की आबादी वाले विनती गांव के निवासियों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव के साथ दमोह कलेक्टर और मछली पालन विभाग के एसडीओ को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा है.
ये भी पढ़ें-