गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध से Madhya Pradesh के कारोबारियों के 5 हजार ट्रक बंदरगाहों पर अटके, जानें बड़ी बात
MP News: गेहूं के निर्यात (Wheat Export) पर प्रतिबंध लगने से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)) के कारोबारियों के करीब 5000 ट्रक देश के 2 बड़े बंदरगाहों पर अटक गए हैं.
Madhya Pradesh Ban On Wheat Export: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के एक कारोबारी संगठन ने गेहूं के निर्यात (Wheat Export) पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार (Central Government) के फैसले की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि अचानक उठाए गए इस कदम से प्रदेश के कारोबारियों के करीब 5000 ट्रक देश के 2 बड़े बंदरगाहों पर अटक गए हैं. संगठन के मुताबिक, इन ट्रकों के जरिए गेहूं की बड़ी खेप निर्यात के लिए बंदरगाहों तक पहुंचाई गई थी. संगठन ने घोषणा की है कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की सभी 270 कृषि उपज मंडियों में मंगलवार और बुधवार को कारोबार नहीं होगा.
अटक गए निर्यात सौदे
मध्य प्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी से कहा कि, ''केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाए जाने से राज्य के व्यापारियों द्वारा भेजे गए करीब 5,000 ट्रक कांडला और मुंबई के बंदरगाहों पर खड़े हैं और उनमें लदी गेहूं की बड़ी खेप का निर्यात नहीं हो पा रहा है.'' उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बार गेहूं निर्यात के लिए व्यापारियों को खूब प्रोत्साहित किया था जिसके बाद उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंची कीमतों पर किसानों से जमकर गेहूं खरीदा था, लेकिन अब केंद्र के प्रतिबंध के कारण उनके निर्यात सौदे अटक गए हैं.
गेहूं निर्यात को बहाल करना चाहिए
अग्रवाल ने कहा कि, ''गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की सभी 270 कृषि उपज मंडियों में कारोबारी मंगलवार और बुधवार को ना तो माल खरीदेंगे, ना ही बेचेंगे.'' उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार को कारोबारियों और किसानों दोनों के हित में प्रतिबंध को वापस लेते हुए गेहूं निर्यात को बहाल करना चाहिए.
केंद्र सरकार ने निर्यात पर लगाया प्रतिबंध
गौरतलब है कि, भीषण गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने इस प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. केंद्र ने कहा है कि पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के अलावा इस फैसले से गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं.
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