Gwalior News: शहर के गांधी प्राणी उद्यान की शान माने जाने वाले सबसे पुराने बब्बर शेर जय ने अंततः आज शनिवार को जब अपने जीवन की अंतिम सांस ली तो पूरे चिड़िया घर में सबकी आंखें नम हो गईं. जय काफी लंबे समय से बीमार चल रहा था. वह सोलह साल से ज्यादा उम्र का था.
जय ने छोड़ दिया था खाना-पीना
जय बीते एक पखबाड़े से बीमार था. यह बीमारी उम्र जनित थी. बीमारी की वजह से उसने धीरे धीरे खाना-पीना बेहद कम कर दिया था जिससे उसका शरीर काफी कमजोर होने लगा था. सामान्यतौर पर साधु और संत अपने अंतिम समय में ऐसे ही उपवास और अल्प आहार करके शनै: शनै: देह को जर्जर कर प्राण त्यागते हैं. शेर ने भी यही तरीका अपनाया. डॉक्टरों का कहना है कि यह उम्र का भी प्रभाव है जिसके चलते पाचन क्रिया में भी कमी आने लगती है. यही कारण था कि अब उसने खाना बेहद कम कर दिया था. शनिवार सुबह के समय उसने अंतिम सांस ली.
2012 में ग्वालियर आया था जय
ग्वालियर चिड़ियाघर के क्यूरेटर गौरव परिहार का कहना है कि बब्बर शेर जय को 2012 में ग्वालियर के चिड़ियाघर में लाया गया था. उसके बाद से वह यहां सबका लाडला बन गया था. जय अपनी उम्र पूरी कर चुका था. वह सोलह साल से ज्यादा उम्र का था और बीते एक साल से उम्र जनित बीमारियों से जूझ रहा था. बीते एक सप्ताह से उसने धीरे-धीरे खाना पीना छोड़ दिया था. लगभग 15 दिनों से जय ने मटन खाना बंद कर दिया था और लगभग सूप के सहारे ही था और कभी-कभी वह भी नहीं पीता था. यह सब उम्र का प्रभाव था जिसके चलते उसने भोजन छोड़ दिया था. डॉक्टर्स की टीम उसकी लगातार निगरानी कर रही थी. खाना पीना छोड़ने के बाद उसे डॉक्टर ड्रिप चढ़ा रहे थे.
'भरा पूरा परिवार है जय का'
आज जय सिंह के निधन के बाद अब वर्तमान में गांधी प्राणी उद्यान में अब फिलहाल 5 शेर मौजूद हैं जिनमें एक एडल्ट तीन बच्चे और एक मादा मौजूद है. उन्होंने बताया कि जय एवं मादा लायन परी द्वारा हाल ही में 3 बच्चों को जन्म दिया गया था. इनके नाम अर्जुन, तमन्ना और रानी हैं.
शेर की मांद में पसरा है सन्नाटा, बच्चे नजर आए खामोश
परिवार के सबसे बुजुर्ग लॉयन के जाने के बाद से ही उंसके साथ रहने वाले मादा व उनके बच्चे काफी उदास नजर आ रहे हैं. कैब्स में उसके साथ दिनभर अठखेलियां करने वाले बच्चे आज खामोश नजर आ रहे हैं. डॉक्टर उपेंद्र यादव कहना है कि जानवरों को सामूहिक रूप से रहना अधिक पसंद होता है इसलिए उन्हें किसी साथी के अचानक कम होने का एहसास अधिक होता है और वे रिएक्ट भी करते हैं. हालांकि वे जल्दी ही सब कुछ भूल भी जाते हैं. इसलिए कुछ दिन बाद यह अपने आप रिकवर करने लग जाएंगे.
वन्य जीव कानून के तहत होगा जय का अंतिम संस्कार
चिड़ियाघर के क्यूरेटर गौरव परिहार ने बताया कि शेर का अंतिम संस्कार पोस्टमार्टम के बाद वन विभाग की टीम के समक्ष किया जाएगा. इस दौरान जय का दाह संस्कार कर उसे अंतिम विदाई दी जाएगी. अंतिम संस्कार के दौरान सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हमारे पास हमारे क्षेत्र के हिसाब से शेरों की संख्या पर्याप्त है. इसलिए बाहर से किसी को लाने की आवश्यकता फिलहाल तो नहीं है.
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