Ganesh Chaturthi 2022: भगवान गणेश का नहीं करते विसर्जन, बच्चों में बांट देते हैं बप्पा की मूर्तियां, जानें वजह
Ganesh Chaturthi News: इंदौर में एक ऐसा परिवार है जो पिछले 18 सालों से अपने हाथों से भगवान गणेश की मूर्तियां बनाता आ रहा है और श्री गणेश का विसर्जन न कर मूर्ति को बच्चों में बांट देता है.
MP News: मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई में भगवान गणेश के जन्म उत्सव का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है. भक्त भगवान लम्बोदर कि भक्ति में लीन हैं और भगवान की उपासना कर अपने और अपने परिवार की सुख-शांति और खुशहाली के लिए प्रार्थना भगवान गणेश से कर रहे हैं. भगवान गणेश की आराधना और प्रार्थना के लिए जहां मंदिरों में पूजा अर्चना की जा रही है तो वहीं गली-मोहल्लों और घरों में भगवान गणेश की मूंर्तियां स्थापित कर लोग पूजा कर रहे हैं.
तो वहीं शहर में एक ऐसा परिवार है जो पिछले 18 सालों से इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों कि स्थापना करते आ रहा है और स्वयं भगवान गणेश के मूर्ति अपने हाथों से बनाकर अपने घर में विधि विधान सहित स्थापित कर उनकी आराधना कर रहा है. लेकिन इस इक्कोफ्रेंडली गणेश मूर्तियों कि खासियत ये होती है कि वे इन्हे विसर्जित ना कर उन्हें बच्चों और बड़ों में बांट दिया करते हैं.
दरअसल इन्दौर के एरोड्रम रोड स्थित अशोक कॉलोनी में रहने वाले किशोर गहलोत और उनके परिवार द्वारा पिछले 18 सालों से भगवान गणेश की मूर्ति बना कर उसे अपने घर में स्थापित किया जाता है. लेकिन ये भगवान गणेश कि मूर्ति प्रति वर्ष औरों से अलग होती है क्योंकि ये परिवार हर वर्ष भगवान गणेश की आकृति को एक अलग रंग रूप और आकृति में ढालता है. पिछले 18 वर्षो में बनाई गई इस परिवार द्वारा भगवान की मूर्तियों कि बात करें तो कभी इन्होंने भगवान गणेश को डिजिटल इण्डिया का रूप दे दिया तो कभी एक गरीब के परिवहन के साधन सायकल के पूर्जो से बना कर अपने घर में स्थापित कर दिया तो वहीं इस बार बच्चों की व्यथा जो कोरोना काल मे हुई उसे प्रदर्शित कर दिया.
बच्चो के प्रिय भगवान गणेश की प्रतिमा जिस तरह बनाई है उसे आज बच्चे से लेकर बड़े भी पसंद कर रहे हैं. क्योंकि बच्चों का प्रिय होता है खिलौना और इस बार उनके द्वारा भगवान गणेश की प्रतिमा खिलौने से बनाई गई है. जिसे देखने के लिए बच्चे दिन भर आते रहते हैं और भगवान कि मूर्ति में लगे खिलौने की मांग करते हैं.
वहीं उन्होंने 18 सालों से इस तरह कि कलाकृति कर भगवान कि मूर्ति स्थापित करने कि वजह बताते हुए कहा कि हर इंसान के अंदर एक हुनर है और उसे अपने हुनर का उपयोग लेना चाहिए. कुछ ना कुछ नया करना चाहिए ताकि उसका हुनर और उसकी मेहनत दिखाई दे और भगवान उससे खुश होकर उसके सारे कष्ट दूर कर दें.
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