Ganesh Utsav 2023: हर बार की तरह इस बार भी गणेशोत्सव पर मूर्तियां तैयार की जा रही हैं. ये मूर्तियां इंदौर के ही विभिन्नि क्षेत्रों में बनाई जाती हैं. इस बार भी मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए कारीगर काम पर लग गए हैं. जिन मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है उन्हें देश के विभिन्न प्रांतों से बुलाए गए सामान से तैयार किया जाता है. 


गणेशोत्सव में भलें ही 70 दिनों से ज्यादा का वक्त है, लेकिन गणेशउत्सव का उल्लास अभी से शुरू हो चुका है. हर बार की तरह इस बार भी कलाकारों को गणेश प्रतिमाओं के ऑर्डर मिलना शुरू हो चुके हैं. मूर्तियों पर महंगाई का असर भी निश्चित तौर पर देखने को मिलेगा. वही इन मिट्टी की मूर्तियों को बनाने वाले कारीगर भी दोगुनी संख्या में इंदौर पहुंच चुके हैं. 


ऑर्डर 3 महीने पहले से मिलना शुरू हो गए थे
इंदौर में मूर्ति निर्माण का कार्य बंगाली चौराहे पर किया जाता है. इसके अलावा भी कई जगहों पर मूर्ति निर्माण होता है लेकिन यहां इस चौराहे पर मूर्ति निर्माण की अपनी कहानी है. वैसेें यहां की बात करें तो यहां बांस लकड़ी का बेस बनाकर उसपर मिट्टी का लेप लगाने का काम शुरू हो चुका है. मूर्ति बनाने वाले कारीगर पाल मूर्तिकार आर्टस के अतुल पाल ने बताया कि इस बार हमें मूर्तियों के लिए ऑर्डर 3 महीने पहले से मिलना शुरू हो गए थे. हमारी बनाई गई मूर्तियां न केवल मध्यप्रदेश बल्कि अन्य राज्यों में भी जाती हैं. काम की अधिकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार तीन हजार छोटी और 1100 से ज्यादा बड़ी मूर्तियों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वैसे हर साल हमें 700 के आसपास मूर्तियों के ऑर्डर मिलते थे लेकिन इस बार इनकी संख्या अधिक है. 


बप्पा के लिए आई गंगा की मिट्टी, बंगाल का श्रृंगार
गणपति बप्पा के लिए इस बार इंदौर में गंगा की मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है. दरअसल गंगा की मिट््टी से मूर्ति को आकार देना आसान होता है. इसलिए इस बार यहां 500 बोरी गंगा की मिट्टी बुलवाई गई है. वहीं क्षिप्रा की पीली मिट्टी भी मूर्ति के लिए इस्तेमाल की जा रही है. मूर्तियों के लिए कानपुर का बांस और कोलकाता से श्रृंगार का सामान मंगवाया गया है. 


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