Ganga Dussehra 2022: गंगा दशहरा पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) में भगवान महाकाल (Bhagwan Mahakal) के दरबार में छोटे-छोटे कलाकारों की तरफ अनूठी परंपरा निभाई जाती है. इस दौरान कलाकार भगवान महाकाल के दरबार में नंगे पैर तपती गर्मी के बीच नृत्य आराधना करते हैं. यह परंपरा कई सालों से लगातार निभाई जा रही है. प्राचीन समय से ही धार्मिक स्थलों पर नृत्य और गायन के माध्यम से भी भगवान को प्रसन्न करने की परंपरा चली आ रही है, हालांकि वर्तमान समय में इसके उदाहरण काफी कम देखने को मिलते हैं.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में इस परंपरा का जरूर कई सालों से निर्वहन किया जा रहा है. प्रशिक्षक मृणाली चौहान ने बताया कि भगवान महाकाल के दरबार में कला की प्रस्तुति देकर कलाकार भी खुद को धन्य मानते हैं. पिछले कई सालों से गंगा दशहरे पर्व पर दूर-दूर से कलाकार यहां प्रस्तुति देने के लिए आते हैं. गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान, गुजरात सहित आस-पास के प्रदेशों से भी छोटे-छोटे कलाकार आए हैं. भस्म आरती से प्रस्तुति का सिलसिला शुरू होता है जो कि लगातार शयन आरती तक चलता है.
डांस के जरिए की जा रही है कोरोना के खत्म होने की प्रार्थना
उन्होंने बताया कि इस अराधना के पीछे जनकल्याण और सर्व कल्याण की प्रार्थना मुख्य उद्देश्य है. इस बार कोरोना की बीमारी को खत्म करने की प्रार्थना भी नृत्य के माध्यम से भगवान से की जा रही है. कोटा से आयोजन में शामिल होने आई ऋचा नाम की युवती ने बताया कि भगवान शिव की आराधना का इससे अच्छा अवसर साल भर नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि गर्मी में नंगे पैर नृत्य से आराधना की जाती है, मगर तपन का एहसास तक नहीं होता है. यह दिन बड़े ही कुशलता से गुजर जाता है. इस दिन का उन्हें साल भर इंतजार रहता है.
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