Narottam Mishra on Gita Press Controversy: गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के एलान के बाद सियासी वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवालों पर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जवाब दते हुए कहा है कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को देश जान चुका है.
गोडसे को पुरस्कार देने जैसा- जयराम रमेश
गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का केंद्र सरकार ने फैसला लिया. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने न केवल सवाल उठाया बल्कि यहां तक कह दिया कि यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
नरोत्तम मिश्रा ने किया पलटवार
जयराम रमेश के बयान का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री मिश्रा ने कहा, "हमारे सनातन के साहित्य के छपने का सबसे बड़ा केंद्र है गीता प्रेस, कांग्रेस को आपत्ति इसलिए हो सकती है क्योंकि वह गीता और रामायण ही सिर्फ छापते हैं. यह इनकी पीड़ा हो सकती है. यह उनकी तुष्टिकरण है. उन्होंने सौ साल में कोई सम्मान लिया नहीं है. इसके बाद भी इनको आपत्ति है. यह देश सब समझता है कि इन्हें क्यों आपत्ति है."
'ये गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान'
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की कांग्रेस की ओर से की जा रही आलोचना के बीच सोमवार को कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है.
शाह ने एक ट्वीट में कहा, "भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है, तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरितमानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है."
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