Gotmar Mela: पांढुरना में शुरू हुआ पत्थर बरसाने वाला गोटमार मेला, जानिए आस्था और परंपरा की दिलचस्प कहानी
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के पांढुरना में हर साल गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दो गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर पथराव करते हैं.
Pandhurna News: एमपी के पांढुरना (Pandhurna) का विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला (Gotmar Mela) शनिवार सुबह पूजा अर्चना के बाद शुरू हो गया. यहां सावरगांव और पांढुरना पक्ष के लोग एक दूसरे पर जमकर पथराव कर रहे हैं. जिसकी वजह से दोपहर 1:00 बजे तक यहां पथराव में लगभग 125 लोग बुरी तरह से घायल हो गए जबकि एक की हालत गंभीर बताई जा रही है. सुरक्षा के लिहाज से इस मेले में 400 से ज्यादा पुलिस के जवान तैनात हैं. बावजूद इसके गोटमार में जमकर पथराव हो रहा है.
प्रेम जोड़ों की कहानी से शुरू हुआ गोटमार मेला
किवदंती है कि सालों पहले पांढुरना के लड़के ने साबर गांव की लड़की को अपने साथ प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था. दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था. जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं. फिर भी ये गोटमार पांढुरना में जारी है.
पलाश के पेड़ को लड़की मानते हैं सावरगांव के ग्रामीण
सावरगांव के बुजुर्ग तुकाराम मेले को लेकर बताते है कि मेला कब से शुरू हुआ किसी को इस विषय में कुछ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से मेला का आयोजन हो रहा है. जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद सावरगांव पक्ष के लोग जाम नदी में पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें भगवा झंडी बांधते हैं. यहां ये जानना खास होगा कि जिस पलाश के पेड़ को नदी में लगाया जाता है उसे सावरगांव पक्ष के लोग अपनी लड़की मानते हैं क्योंकि प्रेमी लड़की भी साबर गांव से थी. फिर गोटमार मेला शुरू होता है तो पांढुरना पक्ष के लोगों इस पलाश के पेड़ को छीनने के लिए सावरगांव के लोगों पर पत्थरबाजी करते है. आखिर में जब ये पेड़ तोड़ लिया जाता है तो दोनों पक्ष मिलकर चंडी मां की पूजा अर्चना कर इस गोटमार को खत्म करते हैं.
ड्रोन कैमरे से रखी जा रही नजर
विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले को लेकर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था की है. वहीं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाते हुए कलेक्टर ने धारा 144 तो लागू की है. यहां तक की ड्रोन कैमरे से पूरे मेले की निगरानी की जा रही है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है वहीं उपद्रवियों पर खास तौर पर नजर रखी जा रही है. बताया जा रहा है कि गोटमार मेले में दोपहर 1:00 बजे तक लगभग 125 लोग पत्थर लगने से बुरी तरह से घायल हो गए जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं एक की हालत गंभीर बताई जा रही है जिसे विशेष एंबुलेंस के द्वारा नागपुर रेफर किया गया है.
भाद्र पक्ष की अमावस्या की तिथि पर आयोजित होता है मेला
कलेक्टर सौरभ सुमन का कहना है गोटमार मेला छिंदवाड़ा का पारंपरिक मेला है. प्रशासन ने घायल लोगों को उपचार के लिए एम्बुलेंस और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी तमाम व्यवस्था कर रखी है. वहीं पुलिस टीम भी मौजूद पांढुरना में 300 से अधिक सालों से पोला के दूसरे दिन अमावस्या की तिथि में ये मेला आयोजित होता है. ग्रामीण लोगों ने अभी तक इस मेले के स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं की है.मेला पुरातन काल से ऐसा ही आयोजित हो रहा है.
दोनों गांव के लोग होते हैं घायल, लेकिन नहीं होता मनमुटाव
हर साल आयोजित होने वाले गोटमार मेले में संकड़ों से अधिक लोग घायल होते हैं लेकिन खेल खत्म होने के बाद दोनों ही गांव के लोग एक दूसरे से गले मिलते है. पांढुरना में चंडी माता मंदिर में पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं. साल भर दोनो गांव के लोगों के बीच भाईचारा बना रहता है. बता दें कि सावरगांव और पांढुरना के लोग गोटमार मेले में एक दूसरे पर जमकर पत्थर बाजी करते हैं. बहुत सारे लोग तो हर साल गोट मार खेलने आते है. जिले के बाहर के लोग भी मान्यता को लेकर गोटमार खेलने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कम से कम पांच पत्थर फेंकने का रिवाज है.
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