MP News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की सख्ती के सिर्फ पांच घंटे के भीतर मध्य प्रदेश में गायब हुए यूरिया (Urea) खोज निकाला गया. सरकारी कोटे के यह यूरिया जबलपुर के दो निजी गोदामों में छिपा कर रखा गया था ताकि उन्हें ओपन मार्केट में बेचकर मुनाफा कमाया जा सके. मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश जबलपुर जोन के आईजी उमेश जोगा को सुबह 7 बजे दिए थे और ग्यारह बजे गोदाम में प्रशासन ने छापेमारी करके यूरिया ढूंढ निकाला.
बड़ा घोटाला होने की जताई जा रही है संभावना
दरअसल, जबलपुर संभाग में किसानों को बांटने के लिए आए एक हजार टन यूरिया में से 890 टन यूरिया गायब होने पर सरकार ने सख्ती दिखाई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सुबह-सुबह आपात बैठक लेकर इस मामले में सीधे एफआईआर करने के निर्देश दिए. इसके बाद हरकत में आई प्रशासन ने जिले के दो निजी गोदामों में गायब हुआ सरकारी कोटे के यूरिया ढूंढ निकाला.वैसे इसमें बड़ा घोटाला होने की संभावना जताई जा रही है.
130 मीट्रिक टन गायब यूरिया मिला
सीएम की सख्ती के बाद प्रशासन ने अकेले जबलपुर में 130 मैट्रिक टन गायब सरकारी कोटे का यूरिया ढूंढ निकाला. जबलपुर के पाटन रोड स्थित डीपीएमके के गोदाम और खजरी-खिरिया के गायत्री वेयरहाउस में यह सरकारी यूरिया छिपाया गया था. बाकी का यूरिया पड़ोसी जिलों के निजी गोदामों में होने की जानकारी लगी है जिसकी जब्ती के प्रयास हो रहे हैं. इसके पहले मुख्यमंत्री चौहान ने आज सुबह 7 बजे अपने निवास पर वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक में जबलपुर संभाग के जिलों को आवंटित यूरिया के वितरण में गड़बड़ी पर सख्त तेवर दिखाए थे.
कांग्रेस ने सरकार पर लगाया आरोप
वहीं,यूरिया घोटाले को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने हमलावर तेवर दिखाए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीधा आरोप लगाया कि यह घपले-घोटालों की सरकार है. शिवराज के राज में किसान खाद-यूरिया के लिए परेशान हैं.
कम दाम पर बेचा जाना था यूरिया
प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि जबलपुर पहुंचे 2,666 मीट्रिक टन यूरिया के रैक में से राज्य सरकार को 1853 टन यूरिया आवंटित हुआ था. 70:30 अनुपात के तहत 1853 मैट्रिक टन यूरिया डबल लॉक सिस्टम से सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कम दाम पर किसानों को विक्रय किया जाना था. बताया जा रहा है कि प्रशासनिक मिली भगत से इसमें से 1019 मैट्रिक यूरिया निजी गोदामों में ओपन मार्केट में बेचने के लिए पहुंच गया था. अब इस पूरे मामले में यूरिया हैंडलिंग एजेंसी श्याम कृभको पर एफआईआर की तलवार लटकी है. यह रायपुर की एजेंसी है और इसके खिलाफ लंबे समय से सरकारी कोटे का यूरिया गायब करके ओपन मार्केट में बेचने की शिकायत की जा रही थी लेकिन मार्कफेड और कृषि विभाग आंखे मूंदे था.
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