Guna News: शर्मनाक! प्लास्टिक बैन हुआ तो गुना जिला अस्पताल में मरीजों को हाथ पर दिया जा रहा खाना
Guna District Hospital: गुना जिला सरकारी अस्पताल में प्लास्टक के बैन होने पर मरीजों को हाथों में खाना दिया जा रहा है. करोना महामारी के दौरान मरीजों को प्लास्टिक के बर्तन में खाना दिया जाता था.
MP News: गुना जिला सरकारी अस्पताल प्रबंधक के द्वारा इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण फैलने के डर से मरीजों को डिस्पोजल के बर्तनों में खाना दिया जाता था. यह व्यवस्था 1 जुलाई के पहले तक जारी था. प्लास्टिक पर लगे बैन के बाद अब मरीजों को हाथ में खाना दिया जा रहा है. गुना के जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को कोरोना महामारी से पहले स्टील के बर्तनो में खाना दिया जाता था.
कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण फैलने के डर के चलते जिला कलेक्टर के आदेश के अनुसार खाना डिस्पोजल, प्लास्टिक के बने बर्तनो में दिया जाने लगा था. 1जुलाई 2022 को सरकार द्वारा प्लास्टिक पर लगे बैन के बाद मरीजों के लिए पुनः पुरानी व्यवस्था को लागु ना करते हुए मरीजों को हाथ में खाना दिया जा रहा है.
अस्पताल में भर्ती मरीज ने ये बताया
जिला अस्पताल में भर्ती मरीज द्रोपती बाई ने बताया कि कभी-कभी खाना बिना सब्जी के खाना खाने को मजबूर होना पड़ता है. क्योंकि वे घर से कोई बर्तन नहीं ले कर आये हैं. जिसके कारण हाथ में ही रोटी के ऊपर सब्जी डाल कर दे दी जाती है जिससे सब्जी बह कर निचे गिर जाती है. मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे अस्पताल प्रबंधक से बात करने पर प्रबंधक और व्यवस्थापक ने बताया कि कलेक्टर के आदेश के अनुसार कोरोना संक्रमण ना फैले इसलिए थालियों में खाना देना बंद किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि कलेक्टर साहब के कहने पर ही थाना थालियों में दिया जाएगा.
पूरे मामले में कलेक्टर ने ये बताया
इस बारे में जिला कलेक्टर गुना ने बताया कि संक्रमण के चलते खाने कि व्यवस्था बदली गई थी, लेकिन पिछले वर्ष से हालत सामान्य है. उन्होने आगे कहा कि फिर भी मरीजों को खाना डिस्पोजल में दिया जाता था. डिस्पोजल बैन होने के बाद खाना मरीजों को उनके हाथो में दिए जाने को लेकर कलेक्टर ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
डिस्पोजल बर्तनों पर बैन लगने के बाद भी मरीजों को खाना स्टील के बर्तनो में नहीं दिया जाना कहीं ना कहीं कई सवाल खड़े कर रहा है. क्योंकि उस समय के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने जिला अस्पताल का दौरा कर 12 वार्ड के इंचार्जों को अपने-अपने वार्ड के मरीजों के भोजन के लिए 50 से 60 थालियों की व्यवस्था करवाई थी. इसमें लाखों रूपये खर्च किये गए थे लेकिन लाखों रूपये के वो बर्तन कहां गए इसका कोई हिसाब नहीं है.