ग्वालियर: हॉस्पिटल के ICU में आग लगने से वेंटिलेटर पर मरीज की मौत का आरोप, अस्पताल प्रशासन ने दी ये सफाई
Gwalior News: ग्वालियर के अस्पताल में एसी यूनिट में आग लगने से वेंटिलेटर पर मौजूद मरीज की मौत का आरोप है. वहीं अब अस्पताल ने आरोपों का खंडन किया है.
Gwalior Hospital Fire Accident: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक सरकारी अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर रखे गए एक मरीज की मंगलवार (3 सितंबर) को मौत हो गई जिसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि एयर कंडीशन यूनिट में आग लगने के कारण ऐसा हुआ जबकि अस्पताल प्रबंधन ने इस आरोप का खंडन किया है. यह घटना जयारोग्य अस्पताल की है.
परिजनों ने कहा कि कमरे में धुआं भर जाने के कारण मरीज को बाहर ले जाते समय मौत हुई, जबकि अस्पताल अधिकारियों ने दावा किया कि मृतक की हालत पहले से ही गंभीर थी. अधिकारियों ने कहा कि सेंटर में भर्ती अन्य नौ मरीज सुरक्षित हैं.
गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर की एक एयर कंडीशन यूनिट में सुबह आग लग गई, जिसके बाद अधीक्षक समेत सभी कर्मचारी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने बताया कि घटना के वक्त ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर 10 मरीज थे और सभी को दूसरे कमरे में ट्रांसफर कर दिया गया.
आबिद खान के पिता वेंटिलेटर पर थे
ट्रॉमा केयर सेंटर में पिता का इलाज करा रहे आबिद खान ने दावा किया कि उनके पिता वेंटिलेटर पर थे और उनका बिस्तर उस एयर कंडीशन यूनिट के ठीक नीचे था जिसमें आग लगी. उन्होंने आरोप लगाया कि आईसीयू में धुआं फैल जाने के कारण जब उनके पिता को ट्रांसफर किया जा रहा था तभी उनकी मौत हुई. कुछ देर में आग पर काबू पा लिया गया. खान ने दावा किया कि उनके पिता आजाद खान की मौत दूसरे कमरे में ले जाने के दौरान हुई. हालांकि, डॉ. धाकड़ ने कहा कि यह कहना गलत है कि मरीज की मौत एयर कंडीशन यूनिट में आग लगने के कारण हुई.
आग सुबह करीब सात बजे लगी
मरीज को शिवपुरी से अस्पताल लाया गया था और उसकी ब्रेन सर्जरी की गई थी. वह एम-एक श्रेणी का मरीज थे, जो ब्रेन डेड व्यक्ति के समान होता है. उन्होंने कहा कि आग सुबह करीब सात बजे लगी, जबकि मरीज की मौत सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर हुई. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह कहना गलत होगा कि मरीज की मौत आग लगने या दूसरे कमरे में शिफ्ट किए जाने के दौरान हुई.’’
अन्य नौ मरीज फिलहाल सुरक्षित हैं
डीन ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में केवल गंभीर हालत वाले मरीज ही भर्ती थे और उन्हें वेंटिलेटर के साथ ही शिफ्ट किया गया. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि शिफ्ट किए जाने के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई, क्योंकि वेंटिलेटर में बैकअप सिस्टम होता है. धाकड़ ने कहा कि यहां भर्ती अन्य नौ मरीज फिलहाल सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि वहां रखे अग्निशमन यंत्रों का उपयोग कर चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों ने खुद आग को बुझाया.
ये भी पढ़ें: MP में अमानक दवाओं की सप्लाई पर चिकित्सक महासंघ अलर्ट, CM मोहन यादव को लिखी चिट्ठी में की ये मांग