Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश का ग्वालियर नगर निगम इन दिनों अपने एक फैसले की वजह से चर्चा में बन हुआ है. प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की कीमत उत्तर प्रदेश के मुकाबले अधिक है और इसी को देखते हुए अब ग्वालियर नगर निगम ने एमपी की बजाय यूपी से फ्यूल खरीदने का फैसला लिया है. नगर निगम को अपने वाहनों को चलाने के लिए सालाना करोड़ों रुपये का डीजल खरीदना पड़ता है.
मध्य प्रदेश में वैट और अन्य टैक्स अधिक होने की वजह से पेट्रोल महंगा है. ऐसे में नगर निगम ने महंगाई से निजात के लिए बचत का उपाय निकाला है और अपनी फ्यूल की जरूरत को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश जाने का फैसला लिया है. इस फैसले से नगर निगम को डीजल में प्रति लीटर लगभग चार रुपये की बचत होगी.
विपक्ष ने बोला हमला
वहीं नगर निगम कि फैसले से भले ही निगम को लाखों रुपये का फायदा हो रहा है, लेकिन अब बचत के इस गणित पर विपक्ष में बैठे बीजेपी पार्षद सवाल खड़े कर रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि "ग्वालियर नगर निगम मध्य प्रदेश शासन से अनुदान ले रही है और खजाना उत्तर प्रदेश का भरने की तैयारी कर रही है. निगम ने जिस थाली में खाया उसी में ही छेद किया."
कितनी होगी बचत?
दरअसल, विपक्ष में बैठे बीजेपी के पार्षद भले ही इस कदम का विरोध कर रहे हैं, लेकिन इसमें कांग्रेस की अपनी दलील है. निगम का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, कोरोना काल में भी खर्चा बचाने के लिए ऐसा किया जा चुका है. नगर निगम का साल 2024-25 में डीजल पर 26 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन नगर निगम को 91 रुपये 80 पैसे प्रति लीटर की दर से डीजल दे रहा है और नगर निगम को हर महीने लगभग 15 टैंकर डीजल यानी 12 हजार लीटर डीजल की जरूरत होती है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के झांसी से फ्यूल खरीदने पर हर महीने लगभग 87 लाख रुपये की बचत का अनुमान है.
मध्य प्रदेश में 19% वैट और अतिरिक्त वैट 1 रुपये 50 पैसे प्रति लीटर के अलावा 1% सेस भी लगता है, जबकि उत्तरप्रदेश के झांसी से फ्यूल खरीदने पर 17.08% वैट के अलावा कोई दूसरा टैक्स नहीं लगता है. यही कारण की ग्वालियर में डीजल 91 रुपये 80 पैसे प्रति लीटर के मुकाबले झांसी में 87 रुपये 49 पैसे में ही एक लीटर डीजल मिल जाता है.
(अंबुज पांडेय की रिपोर्ट)