Beneshwar Dham: धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ इस समाज ने खोला मोर्चा, देशभर में FIR दर्ज कराने की दी चेतावनी
Bageshwar Dham Sarkar: हैहयवंशी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण ताम्रकार ने पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को 24 घंटे में माफी मांगने की चेतावनी दी है.
Dhirendra Krishna Shastri Controversy: छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के महंत पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की ओर से हैहयवंशी समाज (Haihayavanshi Samaj) के आराध्य देव राजराजेश्वर सहस्त्र बाहू महाराज (Rajrajeshwar Sahastra Bahu Maharaj) पर की गई टिप्पणी को लेकर वे घिरते नजर आ रहे हैं. उनके बयान से हैहयवंश समाज में भारी आरोप आक्रोश देखने को मिल रहा है.
अखिल भारतीय हैहयवंशी क्षत्रिय समाज के केंद्रीय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण ताम्रकार ने पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को 24 घंटे में माफी मांगने की चेतावनी दी है. उन्होंने ऐलान किया है कि अगर वो माफ़ी नहीं मांगते हैं, तो पूरे देशभर में हैहयवंशी समाज की ओर से पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. अखिल भारतीय हैहयवंशी क्षत्रिय समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण ताम्रकार ने बताया कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भगवान श्री राज राजेश्वर सहस्त्र बाहू महाराज हमारे आराध्य देव हैं. हम उनकी संतान है. इसके साथ ही उन्होंने कहा परशुराम जयंती पर कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्री राज राजेश्वर सहस्त्र बाहू महाराज को लेकर के जो टिप्पणी की थी, वह पूर्णत: मिथ्या, असत्य और निराधार है.
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को बताया अज्ञानी
ताम्रकार ने कहा कि उनको कोई ज्ञान नहीं है. उन्होंने मनगढ़ंत तरीके से भगवान सहस्त्रबाहु को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने अपनी टिप्पणी में हमारे आराध्य भगवान श्री सहस्त्र बाहू को बलात्कारी इत्यादि संज्ञाओं से संबोधित किया है. उनके इस कृत्य से देशभर के हैहयवंशी समाज में आक्रोश है और उनके इस कृत्य की देशभर में निंदा की जा रही है. उन्होंने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री कथावाचक है, सनातन धर्म के प्रचारक है, वहां तक ठीक है, लेकिन जिन तथ्यों का ज्ञान नहीं है, उसपर इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी.
पंडित शास्त्री को दी नसीहत
ताम्रकार ने पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को नसीहत देते हुए कहा कि आपको भगवान श्री सहस्त्रबाहु के संबंध में जानकारी चाहिए, तो आपको मत्स्य पुराण, नारद पुराण, हरिवंश पुराण को पढ़ना चाहिए. वे एक शक्तिशाली राजा थे और लंबे समय तक उनके शासनकाल में उनकी प्रजा हमेशा सुखी रही है. वे उस समय सबसे बड़े गौवंश के रक्षक थे.
भावनाओं से कुठाराघात का आरोप
हैहयवंशी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण ताम्रकार ने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री ने इस तरह के बेतुके बयान देकर पूरे हैहयवंशी समाज की भावनाओं पर कुठाराघात किया है. उनकी भावनाओं का अपमान किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम धीरेंद्र कृष्ण से अनुरोध करते हैं कि आप 24 घंटे में हैहयवंशी समाज से अपनी टिप्पणी पर माफी मांगे, अन्यथा पूरे देशभर में उनके खिलाफ पूरा हैहयवंशी समाज की ओर से एफआईआर कराकर आपराधिक कार्रवाई की मांग करेगा.
यह कहा थी धीरेंद्र शास्त्री ने
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी कथा में कहा था ये क्षत्रिय अचानक से प्रकट कहां से हो जाते थे, इस पर थोड़ी सी चर्चा करते हैं. सहस्त्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहय वंश. हैहय वंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने फरसा अपने हाथ में उठाया. हैहय वंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला, स्त्रियों पर बलात करने वाले थे. ऐसे आतताइयों के खिलाफ भगवान परशुराम ने फरसा उठाया.
इसके बाद शास्त्री ने कहा कि शास्त्र में कहा है कि साधु का काम ही है कि दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना. इसलिए उन्होंने हैहयवंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया, लेकिन आपने शास्त्र की मर्यादाओं का पालन करते हुए कभी भी न तो स्त्रियों पर अपना परसा उठाया, न ही बालक-बालिकाओं पर अपना परसा उठाया. उन्होंने आताताई राजाओं को मार दिया, पर उनके बच्चों को हाथ नहीं लगाया, लेकिन जब वह बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया और उन्होंने भी अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया तो फिर भगवान परशुराम ने उन आताताइयों का वध किया, फिर उनकी संतान हुई फिर उनका वध किया. ऐसे क्रम में 21 बार पृथ्वी को उन क्षत्रियों से विहीन किया, जो बड़े ही दुष्ट प्रवृत्ति के और निर्मम थे.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इससे सिद्ध होता है भगवान परशुराम क्षत्रियों के विरोधी नहीं थे. भगवान परशुराम तो पापचारी, अत्याचारी के विरोधी थे. ऐसे आताताई का वध करना अधर्म नहीं है. इसलिए भगवान परशुराम सभी समाज के लिए पूजनीय है. उनका परसा केवल ब्राह्मणों के लिए नहीं उठाया, उनका परसा समस्त चराचर रहने वाले जीवों के कल्याण लिए उठा था. इसलिए भगवान परशुराम केवल एक विशेष जाति समुदाय तक सीमित नहीं है भगवान परशुराम सभी के लिए है और उनकी जो कर्मयोद्धा की नीति है. उस कर्मयोद्धा की नीति को हम सभी को स्वीकार करना चाहिए.
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