Harda Factory Blast: भूख हड़ताल पर बैठीं महिलाएं मांग रहीं न्याय, 'हरदा ब्लास्ट में उजड़े घर सवा लाख रुपये में कैसे बनाएं?'
Harda Factory Blast: धरना प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों को सर्व समाज का साथ भी मिल रहा है. रविवार को धरना स्थल पर मंडी व्यापारी संघ के पदाधिकारी भी मौजूद रहे.
Harda Factory Blast Victims Strike: हरदा पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से क्षतिग्रस्त हुए घर को लेकर पीडि़त परिवार शुक्रवार से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. पीडि़तों की हड़ताल का आज चौथा दिन है. पीडि़तों का कहना है कि उन्हें घर बनाने के लिए महज सवा लाख रुपए मिले हैं, इतने कम पैसे में हम घर कैसे बनाएं. प्रशासन हमारा घर बनाकर दें साथ ही दोषी अफसरों भी एफआईआर की जाए.
हरदा के घंटाघर चौराहे पर धरना दे रहे पीड़ितों का कहना है कि हम बीते 20 दिनों से आईटीआई कॉलेज में बनाए गए राहत शिविर में राखा गया है. तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी हमारा जीवन पटरी पर नहीं आ सका है. धरना प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हैं. भूख हड़ताल की वजह से तीन महिलाओं की तबीयत भी बिगड़ गई, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
सर्व समाज का मिला साथ
धरना प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों को सर्व समाज का साथ भी मिल रहा है. रविवार को धरना स्थल पर मंडी व्यापारी संघ के पदाधिकारी भी मौजूद रहे. इधर धरना प्रदर्शन कर रहे परिवारों का कहना है कि अब तक कलेक्टर हमसे मिलने तक नहीं आए न ही हमारी मांगों पर कोई बातचीत आगे बढ़ी. इधर एसडीएम केसी परते का कहना है कि पीडि़तों का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिल चुका है. कलेक्टर के आश्वासन पर धरना स्थल पर बैठे लोग लौट जाएंगे.
59 मकान क्षतिग्रस्त
बता दें 6 फरवरी को हरदा में पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट की वजह से 59 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे, इनमें से 39 मकान पूरी तरह तहस नहस हो गए, इन 39 में से 21 मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुआ था. 48 परिवारों के 129 लोगों को राहत शिविर में रखा गया है.
पीड़ितों की मांग
- मृतकों के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5 लाख रुपए मुआवजा मिले.
- जिनके घर क्षतिगस्त हुए हैं, घर बनाने के लिए बाजार भाव से पैसा मिले.
- किराएदारों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए ढाई लाख रुपए राहत राहत दिए जाएं.
- विकलांगों और मृतकों के परिजन आश्रित को रोजगार मिले.
- मृतकों के सही आंकड़े जानने के लिए विशेष टीम गठित करें.
- पूछताछ, शिनाख्त, सर्वे, फॉरेंसिक जांच, डिटेट स्टडी के जरिए मृतकों की सही संख्या पता लगाया जाए.
- हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एसआईटी और फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित हो, जिसमें पीड़ितों का प्रतिनिधि शामिल हो.
- मामले में उचित कार्रवाई नहीं करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर भी केस दर्ज हो.
- जिम्मेदार अधिकारियों की निशानदेही कर उनके खिलाफ आपराधिक अभियोग दर्ज हो.
- राजेश अग्रवाल एवं मुख्य आरोपियों दर्ज मामलों में एनएसए, बाल श्रम समेत हत्या के अन्य तर्कसंगत धाराएं जोड़ी जाएं.
- विस्फोट की तीव्रता, प्रकार जानने नई ओर विशेष फॉरेंसिक टीम का गठन और स्वतंत्र लैब में जांच हो.
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