Narmadapuram Hatchery Institute: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में वैसे तो मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण उपक्रम के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसमें महाशीर मछली (Mahseer Fish) का बड़ा विशिष्ट स्थान है. महाशीर मध्य प्रदेश की राजकीय मछली कहलाती है. महाशीर को अपनी खूबियों के कारण टाइगर ऑफ वाटर के नाम से भी जाना जाता है. मध्य प्रदेश की राजकीय मछली होने के बावजूद भी राज्य में महाशीर के बीज उत्पादन का कोई सेंटर मौजूद नहीं है. ऐसे में महाशीर मछली के उत्पादन और संवर्धन को समृद्ध बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) नर्मदापुरम (Narmadapuram) जिले में लगभग दो करोड़ की लागत का हैचरी संस्थान बनाने जा रही है.
इसके लिए आवश्यक प्रस्ताव केंद्र सरकार को बनाकर भेज दिया गया है. नर्मदापुरम में नर्मदा सहित दूसरी सहायक नदियों में स्टाक किया जाएगा, केरवा जलाशय में भी महाशीर बीच के संचयन की प्रक्रिया जारी है. इस संबंध में जब मत्स्य उद्योग विभाग के प्रभारी संचालक भरत सिंह से एबीपी संवाददाता ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत महाशीर के उत्पादन और संवर्धन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. जैसे ही प्रस्ताव स्वीकृत होता है, कार्य को प्रारंभ कर दिया जाएगा.
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यहां हैं महाशीर मछली के उत्पादन के सेंटर
अभी देश के अंदर पुणे के लोनावाला और उत्तराखंड के भीमताल में ही महाशीर मछली के उत्पादन के सेंटर हैं, जबकि मध्य प्रदेश के साथ महाशीर का रिश्ता सांस्कृतिक विरासत से भी जुड़ा हुआ है, इसीलिए सरकार महाशीर के उत्पादन और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. इसी बीच अब मध्य प्रदेश के मछुआ कल्याण मत्स्य विभाग के मंत्री तुलसी सिलावट से बात की तो उन्होंने बताया कि महाशीर मछली के संवर्धन के लिए सरकार प्रयासरत है. विभाग की ओर से प्रोजेक्ट भेजा गया है, हम दिल्ली में केंद्रीय मंत्री से इस संबंध में चर्चा करेंगे.