Doctors Resignation: डॉक्टरों के इस्तीफे से पन्ना जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था ठप, छह घंटों में तीन की मौत
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि डॉक्टरों पर फर्जी हरिजन एक्ट का मामला दर्ज हुआ था. विरोध में सभी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया. मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी.
Doctors Resignation: पन्ना में डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा बच्चों की जिंदगी पर भारी पड़ गया. जिला चिकित्सालय में इलाज नहीं मिलने से छह घंटों के दौरान दो मासूमों समेत तीन की मौत हो गई. मृतक के परिजनों में दर्दनाक घटना से आक्रोश है. लोग पूछ रहे हैं कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है? आरोप है कि जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा. पूर्व सूचना के बाद भी इलाज की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. गौरतलब है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन पर हरिजन एक्ट दर्ज होने और सिविल सर्जन की पिटाई से डॉक्टरों में आक्रोश है. विरोध में डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे का एलान कर दिया. इस्तीफे से जिले की चिकित्सा सुविधाएं ठप पड़ गईं.
इलाज के अभाव में तीन की मौत!
अस्पताल के पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ ने भी काम छोड़ दिया है. जिला चिकित्सालय में आदिवासी बच्चा सुरेंद्र और पांच वर्षीय नंदिनी समेत एक घायल शख्स को इलाज के लिए भर्ती किया गया था. आरोप है कि अस्पताल में इलाज नहीं मिलने से तीनों की छह घंटों के दौरान मौत हो गई. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि डॉक्टरों पर फर्जी हरिजन एक्ट का मामला दर्ज हुआ था. विरोध में सभी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया. मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी लेकिन मौत की अब हम जांच कराएंगे.
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डॉक्टरों पर दर्ज हुआ था मुकदमा
सिविल सर्जन बीएस उपाध्याय ने कहा कि एक कांग्रेसी नेता की मौत के बाद परिजनों ने वरिष्ठ चिकित्सक एनके तिवारी के साथ मारपीट की थी. डॉक्टरों की शिकायत पर तीन दिनों तक जिला प्रशासन ने कार्यवाही नहीं की. डॉक्टरों के दबाव में मारपीट का मामला दर्ज हुआ. बदले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन समेत तीन अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों पर हरिजन एक्ट का मामला दर्ज कर दिया गया. डॉक्टरों पर फर्जी मुकदमे से स्वास्थ्य महकमा नाराज हो गया और विरोध में काम बंद कर दिया. जिला प्रशासन एवं पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है. तीन लोगों को इलाज के अभाव में जान गंवानी पड़ी. छह घंटों के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में समझौता हो गया और दोनों मुकदमे वापस ले लिए गए हैं.
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