(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gwalior: बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे का समर्थकों ने मनाया बलिदान दिवस, प्रतिमा लगाने की मांग
हिंदू महासभा कार्यालय में दर्जनों पदाधिकारी और कार्यकर्ता पहुंचे और नाथूराम गोडसे की बरसी पर पूजा अर्चना कर आरती उतारी. उन्होंने नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित करने का संकल्प लिया.
Gwalior News: ग्वालियर में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के हत्यारे को पूजने का सिलसिला जारी है. समर्थकों ने आज का दिन गोडसे बलिदान दिवस (Nathuram Godse Sacrifice Day) के रूप में मनाया. उन्होंने गोडसे के चित्र की पूजा कर आरती उतारी और गोडसे जिंदाबाद के नारे भी लगाए. गोडसे के बलिदान दिवस को मनाए जाने की घोषणा पूर्व में कर दिया गया था, लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासन ने रोकने का कोई प्रयास भी नहीं किया. गोडसे को आज के दिन ही महात्मा गांधी की नृशंस हत्या का जुर्म साबित होने पर फांसी पर लटकाया गया था. समर्थकों ने आज के दिन गोडसे का महिमा मंडन किया.
ग्वालियर में गांधी के हत्यारे का फिर हुआ महिमा मंडन
हिंदू महासभा कार्यालय में दर्जनों पदाधिकारी और कार्यकर्ता पहुंचे और नाथूराम गोडसे की बरसी पर पूजा अर्चना कर आरती उतारी. साथ ही उन्होंने संकल्प लिया कि ग्वालियर में जल्द बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे की मूर्ति चौराहे पर स्थापित होगी. उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) गोडसे की मूर्ति स्थापना के लिए लगातार प्रयासरत है. मौके पर मौजूद हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने नाथूराम गोडसे जिंदाबाद के नारे भी लगाए. हिंदू महासभा की प्रवक्ता अर्चना चौहान का कहना है कि नाथूराम गोडसे एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व रहे हैं और आज उनका बलिदान दिवस है.
हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने जिंदाबाद के लगाए नारे
इस मौके पर हिंदू महासभा ने सभी कार्यकर्ताओं को अखंड भारत का संकल्प दिलाया है. उन्होंने मांग की कि शहर के किसी चौराहे पर नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित हो. उन्होंने इसके लिए नगर निगम कमिश्नर से बातचीत भी की. उन्होंने बताया कि नाथूराम गोडसे की पहली मूर्ति प्रशासन के कब्जे में है लेकिन उनकी दूसरी मूर्ति तैयार हो रही है. हिन्दू महासभा की तरफ से ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा अर्चना लगातार की जाती रही है. माना जाता है कि गोडसे ने समर्थकों के साथ ग्वालियर में ही गांधी की हत्या की साजिश रची थी और बंदूक भी ग्वालियर से ही हासिल किया गया था.