(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jabalpur News: जबलपुर में बुलडोजर ने दफन किया 130 साल का इतिहास, जानें कैसे बनी थी जबलपुर की बर्न कंपनी
MP News: बर्न स्टैंडर्ड का जबलपुर से गहरा नाता था. 1956 में मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के समय शहर में किसी अति विशिष्ट व्यक्ति की अगवानी में बर्न स्टैंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर को भी शामिल किया जाता था.
जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) शहर के सिविल लाइंस में स्थित बंगला ‘बर्न कोर्ट’ बीते दिनों जमींदोज कर दिया गया. एक बिल्डर और सरकार के बीच विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से हुआ. यहां की जमीन सरकार के कब्जे में आ गई. सरकार ने बिल्डर का कब्जा खत्म करने के लिए बंग्ले पर बुलडोजर चला दिया. यह बंगला कभी बर्न स्टेंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर का निवास हुआ करता था.
बर्न स्टैंडर्ड कंपनी और जबलपुर
जबलपुर के इतिहास और संस्कृति पर गहरी नजर रखने वाले पंकज स्वामी बताते हैं कि इस बंग्ले के साथ ही जबलपुर में बर्न स्टैंडर्ड कंपनी का 130 साल पुराना इतिहास भी दफ़न हो गया. हावड़ा में एक इंजीनियरिंग कंपनी की शुरुआत 1871 में एक सेवानिवृत्त कर्नल आर्चीबाल्ड स्विंटन ने की थी. साल 1809 में जब अलेक्जेंडर बर्न मिस्टर करी के साथ कंपनी के प्रमुख बने तो कंपनी 'बर्न एंड करी' कहलाई. करी 1831 में चले गए और कंपनी 'अलेक्जेंडर बर्न एंड कंपनी' बन गई. इसे बाद में 'बर्न एंड कंपनी' से अनुबंधित किया गया.
'बर्न एंड कंपनी लिमिटेड' का गठन 1895 में 'बर्न एंड कंपनी' के व्यवसाय को अधिग्रहित करने और जारी रखने के लिए किया गया. बर्न एंड कंपनी लिमिटेड 1895 में बनी थी. साल 1900 की शुरूआत में इसका हेड आफिस 12 मिशन रोड कलकत्ता में और एक साइट आफिस हावड़ा में था. इस साइट आफिस को हावड़ा आयरन वर्क्स के नाम से जाना जाता था. इसके आफिस जब्बलपोर (जबलपुर), बंबई, रानीगंज, रंगून, सिंगापुर और स्ट्रेट्स सेटलमेंट में थे. इंग्लैंड में इस कंपनी को बर्न क्रेडॉक एंड कंपनी के नाम से जाना जाता था. वहां इसके आफिस लंदन व ग्लासगो में थे.
कलकत्ता के ड्रेनेज सिस्टम में जबलपुर के बने पाइपों का उपयोग
बर्न एन्ड कंपनी की जबलपुर फैक्टरी 1892 में स्थापित हुई. इसके बाद बंगाल में रानीगंज में फैक्टरी बनी. इन दोनों फैक्टरियों में टाइल्स, फायर ब्रिक्स (ईंट), स्टोन वेयर, पाइप्स और रिफ्रेक्टरीज बनती थीं. जबलपुर के बाद कटनी के निवार में भी बर्न स्टैंडर्ड कंपनी की फैक्टरी स्थापित हुई. कलकत्ता के पूरे ड्रेनेज सिस्टम में बर्न स्टेंडर्ड फैक्टरी जबलपुर के बने पाइपों का उपयोग किया गया था. बर्न एंड कंपनी ने रेलवे के लिए यात्रा व माल वेगन का निर्माण भी किया.
जेसू की विश्वसनीय बिजली सप्लाई
साल 1946 में 'बर्न एंड कंपनी लिमिटेड' का 'मार्टिन एंड कंपनी' के साथ विलय हो गया. यह 'मार्टिन, बर्न एंड कंपनी' बन गई. मार्टिन बर्न कंपनी की जबलपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई अंडरटेकिंग (जेसू) ने जबलपुर में बिजली सप्लाई का काम शुरू किया. सातवें दशक के मध्य तक जेसू की बिजली सप्लाई की गुणवत्ता और विश्वसनीयता ऐसी थी कि जिसे आज भी लोग याद करते हैं. जबलपुर में गोकुलदास धर्मशाला के पीछे की बिल्डिंग जेसू ईस्ट और मिशन कम्पाउंड का भवन जेसू वेस्ट के नाम से मशहूर रहा. आज भी कुछ लोग दोनों बिजली दफ्तरों को जेसू नाम से ही पुकारते हैं.
जबलपुर में दुर्गा पूजा, नाट्य मंचन और फुटबाल
पंकज स्वामी बताते हैं कि बर्न स्टेंडर्ड का जबलपुर से गहरा संबंध रहा. साल 1956 में मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के समय जबलपुर में किसी अति विशिष्ट व्यक्ति की अगवानी में बर्न स्टेंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर को शामिल किया जाता था. पांचवें दशक में बर्न कंपनी के जनरल मैनेजर मिस्टर मरवाहा जबलपुर में खूब लोकप्रिय रहे.
बर्न स्टैंडर्ड की स्थापना के साथ ही नौकरी के लिए बंगाली परिवार जबलपुर आए. इन्हीं परिवारों से जबलपुर में दुर्गा पूजा और नाट्य मंचन की परंपरा शुरू हुई. छठे से नौवे दशक तक यहां आयोजित होने वाली ऑल इंडिया फुटबाल टूर्नामेंट में कलकत्ता की बर्न स्टैंडर्ड फैक्टरी की टीम और उसके खिलाड़ी अपने उत्कृष्ट खेल के कारण लोकप्रिय रहे.
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