Rangpanchami Festival in Indore: सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में रंगपंचमी पर हर साल निकाली जाने वाली 'गेर' (होली की विशाल शोभायात्रा) को यूनेस्को की मान्यता दिलाने के लिए तीन साल बाद जिला प्रशासन फिर कवायद शुरू करेगा. अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए वर्ष 2020 में योजना बनाई थी, लेकिन कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद कवायद सिरे नहीं चढ़ सकी.
जिलाधिकारी इलैया राजा टी ने पत्रकारों को बताया, ‘‘इंदौर की गेर दुनिया भर में मशहूर है. गेर को सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े आयोजन के रूप में यूनेस्को की मान्यता दिलाने का हम नये सिरे से प्रयास शुरू करेंगे". उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक इतिहास और महत्व से जुड़े दस्तावेज जुटा कर गेर आयोजन को मान्यता दिलाने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा जाएगा.
'गेर' को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने की कवायद
इस बीच, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने परिषद की बैठक के बाद बताया, 'हम चाहते हैं कि इंदौर की गेर, दुनिया के पर्यटन कैलेंडर में खास जगह बनाए. इसलिए हमने फैसला किया है कि गेर को यूनेस्को की मान्यता दिलाने के लिए नगर निगम प्रशासन को पूरा सहयोग देगा.' गेर को 'फाग यात्रा' के रूप में भी जाना जाता है.
हजारों हुरियारे बगैर किसी औपचारिक बुलावे के फागुनी मस्ती में डूबते हैं. रंगपंचमी पर यह रंगारंग जुलूस शहर में अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए ऐतिहासिक राजबाड़ा (इंदौर के पूर्व होलकर शासकों का महल) के सामने पहुंचता है.
होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर खेलते थे होली
रंग-गुलाल की चौतरफा बौछारों के बीच हुरियारों का आनंद में डूबा समूह कमाल का मंजर पेश करता है. जानकारों ने बताया कि इंदौरी गेर की परंपरा रियासत काल में शुरू हुई. होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर आम जनता संग होली खेलने सड़कों पर निकलते थे. उन्होंने बताया कि होलकर शासकों के राज में गेर में बैलगाड़ियों पर लदी कड़ाहियों से बड़ी-बड़ी पिचकारियों के जरिये रंग भरा जाता था और इसे हुरियारों पर बरसाया जाता था.