Mahadev Holi In Sehore: अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit pradeep Mishra) अपने गृह जिले सीहोर (Sehore) में ही इस बार होली का पर्व मनाएंगे. पंडित प्रदीप मिश्रा ने बीते साल सालों से चली आ रही होली की नवाबी परम्परा को बदलने का आव्हान किया था. पंडित प्रदीप मिश्रा ने इस नवाबी होली को महादेव की होली का नाम दिया था. उनके आव्हान का जबरदस्त असर देखने को मिला.


रंगों से दूर होते जा रहे लोग फिर होली के सराबोर में तरबतर नजर आए. इस बार भी सीहोर में महादेव की होली मनाई जाएगी. अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक होली के पर्व पर अपने गृह जिले सीहोर में ही रहेंगे. पंडित प्रदीप मिश्रा के आव्हान पर नौ मार्च को सीहोर तो 11 मार्च को आष्टा में महादेव की होली मनाई जाएगी.
 
उड़ेगा 50 हजार किलो गुलाल


पंडित प्रदीप के आगमन को लेकर सीहोर जिले की आष्टा तहसील में जबदस्त उत्साह देखा जा रहा है. पंडित मिश्रा 11 मार्च को होली खेलने के लिए आष्टा जाएंगे. आष्टा में महादेव की होली का  चल समारोह होगा. हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष भविष्य कालू भट्ट ने बताया कि चल समारोह तहसील कार्यालय के सामने से शुरु होगा. ये अदालत चौराहा, कालोनी चौराहा, भाऊबाबा मंदिर, अस्पताल चौराहा, पुराना बस स्टैंड और सब्जी मंडी होते हुए सुभाष चौक पहुंचेगा, जहां चल समारोह का समापन किया जाएगा. हिन्दू उत्सव समिति अध्यक्ष भट्ट ने बताया कि आष्टा में 50 हजार किलो से अधिक गुलाल उड़ाया जाएगा. गुलाल उड़ाने के लिए मशीनें लगाई जाएगी. आयोजन को भव्यता देने के लिए तैयारियां की जा रही हैं. 


नवाबी होली का इतिहास


राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले में सीहोर में नवाबी शासन काल से चली आ रही होली की एक अनूठी परम्परा रही है. इसके तहत पहले दिन गेर के साथ होली का आनंद लिया जाता है. शहर में इस दिन पंरपरागत रूप से गैर भी निकलते हैं और गमी की होली मानकर लोग उन घरों पर जाते हैं, जिनके यहां गमी हुई हो. इससे पहले  अनेक लोग होलिका दहन स्थल पर जाकर पूजा अर्चना भी करते हैं. छोटे बच्चों को भी होलिका दहन स्थल पर ले जाया जाता है. होलिका दहन के बाद धुलेंडी पर रंग होता है.


दूसरे दिन सीहोर आते थे भोपाल के नवाब


होली के दूसरे दिन सीहोर जिला मुख्यालय पर रंग बरसता है. बताते हैं होली के दूसरे दिन भोपाल के नवाब हमीदउल्लाह खान होली खेलने सीहोर आते थे. वो वर्तमान समय के कलेक्ट्रेट और पुरानी निजामत, ब्राह्मणपुरा और बारादरी में उपस्थित रहते थे. बताते हैं कि होली के तीसरे दिन नवाब आष्टा पहुंचते थे. जबकि होली के चौथे दिन भोपाल नवाब हमीदउल्ला आष्टा तहसील के जावर पहुंचते थे. जावर में पूरे उल्लास के साथ पर्व मनाया जाता था.


रंगपंचमी पर पूरे जिले में बरसता है रंग


होली पर्व का पांचवां दिन रंग पंचमी पूरे जिले में उल्लास से मनाया जाता है. वैसे तो शहर में पांच दिन खेली जाती है, लेकिन रंग पंचमी पर नजारा ही कुछ अलग नजर आता है. शहर में रंग पंचमी जुलूस निकाला जाता है जिससे पूरा नगर रंगमय हो जाता है. इस प्रकार शहर सहित जिलेभर में पूरे पांच दिन रंग बरसता है.


पंडित प्रदीप मिश्रा ने बदल दी परम्परा


पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर जिले में जारी नवाबी होली की परम्परा को बदल कर रख दिया है. बीते साल होली पर्व के पूर्व पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर जिलेवासियों से अपील की थी कि इस बार से होली नवाबी नहीं, बल्कि महादेव की होली मनाई जाएगी. पंडित प्रदीप मिश्रा की अपील का असर यह रहा कि सीहोर जिले में महादेव की होली पूरे उत्साह के साथ मनाई गई. पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर, आष्टा और इछावर पहुंचकर हुलियारों पर जमकर रंग गुलाल उड़ाया.


वहीं इस बार भी महादेव की होली को लेकर श्रद्धालुओं में जमकर उत्साह देखा जा रहा है. इस बार भी होली पर पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर, आष्टा और इछावर पहुंचेंगे. पंडित प्रदीप मिश्रा की अगवानी और महादेव की होली को लेकर शहरवासियों में जमकर उत्साह है.