Watch: दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की अनूठी परंपरा, होली के दूसरे दिन जान जोखिम में डालते हैं लोग
Happy Holi 2023: यह परंपरा 100 साल से ज्यादा पुरानी है. इस परंपरा के तहत मंदिर के सामने से 2-3 फीट गहरी चूल (नाली) खोदी जाती है, जिसमें सबसे पहले लकड़ियों में आग जलाई जाती है.
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Holika Dahan 2023: आज (8 फरवरी) देश भर में होली मनाई जा रही है. देश के अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग परंपराओं के साथ होली मनाई जाती है. ऐसी ही होली की एक परंपरा मध्य प्रदेश में निभाई जाती है. एमपी के झाबुआ से होली मनाने की एक ऐसी वीडियो सामने आई है, जिसे देखकर दंग रहे जाएंगे. यहां परंपरा के नाम पर दहकते अंगारों पर लोग नंगे पैर चलते हैं. होली के बाद धुलेंदी पर यह अनोखा आयोजन होता है.
दरअसल मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में यह अनोखी परंपरा को निभाई जाती है. जहां दहकते अंगारों पर ग्रामीणों द्वारा नंगे पैरों से चला जाता है. इस अनोखी परंपरा को चूल कहा जाता है. होली के बाद झाबुआ जिले के पेटलावद के पास के कई गांवो में ये दृश्य देखे जा सकते हैं.
नंगे पैर आग पर चलने की परंपरा
यहां के सरपंच मन्नतधारी प्रकाश तहेड़ ने बताया कि होली के बाद झाबुआ के मेघनगर के ग्रामीणों के द्वारा अंचलों और पेटलावद कस्बे के करडावद और आसपास के गांव में इस परंपरा को निभाया जाता है. यह परंपरा 100 साल से ज्यादा पुरानी है. इस परंपरा के तहत मंदिर के सामने से 2-3 फीट गहरी चूल (नाली) खोदी जाती है, जिसमें सबसे पहले लकड़ियों में आग जलाई जाती है.
जब तक अंगारे दहकने नहीं लग जाए तब तक आग को और तेज करने के लिये इसमें घी भी डाला जाता है. अंगारों पर चलने वाले श्रद्धालु मन्दिर के बाहर एकत्र होकर चूल के स्थान पर पहुंचते हैं और श्रद्धा के साथ चूल पर चलते हैं. इस परंपरा के तहत मन्नतधारी ग्रामीण मन्नत पूरी होने पर दहकते अंगारों पर चंलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इसमे कभी भी किसी मन्नतधारी को अंगारों पर चलने से चोट नहीं आती है.
वरिष्ठ पत्रकार और जानकार प्रकाश भंडारी ने बताया कि इस अनूठी परंपरा में मन्नत धारी मन्नत उतारने के लिए दहकते अंगारों पर चलते है. ये क्षेत्र के टेमरिया पेटलावद, बावड़ी, मेघनगर के पास के गांवों और करवड़ गांव मे निभाई जाती है. उन्होंने कहा कि वर्षों से ये परंपरा चलती आ रही है. यह मान्यता है कि अंगारों पर चलने से परिवार पर विपदा भी नहीं आती है.
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