Holi 2023: महाकाल के आंगन में होलिका दहन देखकर भक्त हुए मन मुग्ध, पंडित और पुरोहित ने लगाई परिक्रमा
Ujjain Mahakal Holi 2023: देशभर में सबसे पहले होलिका दहन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होता है. महाकालेश्वर मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि शाम को भगवान को विशेष रूप से श्रृंगार कर सजाया जाता है.
Holika Dahan 2023: ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में सबसे पहले होलिका दहन किया गया. इस दौरान पंडित और पुरोहित परिवार के सदस्य होलिका की परिक्रमा लगाकर पुरानी परंपरा निभाई. इस दौरान होलिका दहन (Holika dahan) देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे.
देशभर में सबसे पहले होलिका दहन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होता है. महाकालेश्वर मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि शाम को भगवान को विशेष रूप से श्रृंगार कर सजाया जाता है. इसके बाद संध्या कालीन आरती में फूल और गुलाल की होली मनाई जाती है. इस आरती के समापन के बाद मंदिर परिसर में होलिका दहन होता है. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में होलिका दहन होता है. इसके बाद देशभर में पर्व मनाया जाता है.
बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
होलिका दहन देखने और पूजा अर्चना करने के लिए यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के उद्घोष के साथ होलिका दहन का नजारा देखा. पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन को लेकर किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता है. यहां पर निर्धारित समय पर हर साल होलिका दहन होता है. सोमवार की रात 8:00 होलिका दहन हुआ. उसके बाद पंडित और पुरोहित परिवार की ओर से महाकाल के आंगन में विशेष पूजा अर्चना की गई.
भक्त भगवान को चढ़ाते हैं गुलाल
महाकालेश्वर मंदिर में गुलाल आरती के बाद होलिका दहन होता है. इसके बाद भगवान महाकाल को गुलाल चढ़ाने के लिए शिवभक्त पहुंचते हैं. महाकालेश्वर मंदिर पहुंची निधि सिंह ने बताया कि राजाधिराज भगवान महाकाल के आंगन में होली पर्व हमेशा याद रहता है. भगवान को चंदन और गुलाल अर्पित करने का अवसर होली पर्व पर मिलता है. शिव भक्तों को इस पल का वर्ष भर इंतजार रहता है.
भस्म आरती में भी खेली जाती है होली
महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन के बाद अगले दिन होने वाली भस्मारती में भी रंग और गुलाल उड़ाया जाता है. भगवान महाकाल के रंग में रंगने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस दौरान भगवान महाकाल का श्रृंगार भी अद्भुत होता है. भगवान को विशेष रूप से चंदन और गुलाल से सजाया जाता है.
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