Madhya Pradesh News: होली का रंग जब मध्य प्रदेश पुलिस के एक सूबेदार पर छाया तो उन्होंने कविता का ऐसा रंग बिखेरा की लोगों का दिल खुश हो गया. सीधी जिले के सूबेदार भागवत प्रसाद पांडे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में सूबेदार देशभक्ति के रंगों को होली के रंग से जोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं.
होली पर सबसे ज्यादा मुश्किल काम यातायात के नियमों का पालन कराना होता है. लोग भांग और शराब के नशे में चूर होकर होली के आनंद में इस कदर डूब जाते हैं कि दुर्घटनाओं का सिलसिला चल पड़ता है. इसी दुर्घटना के क्रम को रोकने के लिए मध्य प्रदेश के सीधी जिले के यातायात प्रभारी और सूबेदार भागवत प्रसाद पांडे हमेशा से कविता के लहजे में लोगों को समझाइश देते हुए नजर आते हैं. होली के उपलक्ष पर भी भागवत प्रसाद पांडे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
भागवत प्रसाद पांडे की हर कविता यातायात से जुड़ी होती है. हालांकि कई बार वे देश भक्ति के रंग में सराबोर कविता भी लोगों के बीच पढ़ देते हैं. सूबेदार भागवत प्रसाद पांडे अपनी कविता के माध्यम से सोशल मीडिया पर हमेशा सुर्खियां बटोरते हैं. आलम यह है कि जो लोग भागवत प्रसाद पांडे से अपने चालान की रसीद कटवाते हैं, वे भी खुश होकर कविता सुनकर और सेल्फी लेकर जाते हैं.
'यातायात के नियमों को निभाना'
होली के दिन भागवत प्रसाद पांडे सड़क पर यातायात व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए निकले तो उनके पास मिठाइयां भी थी. उन्होंने बस्तियों में जाकर छोटे-छोटे बच्चों को मिठाइयां बांटीं. इस दौरान यह संदेश दिया कि "यातायात के नियमों को निभाना, नशे में गाड़ी मत चलाना और सभी एक-एक लड्डू उठाना". सूबेदार भागवत प्रसाद पांडे अपनी हर बात को कविता के लहजे में बोलकर लोगों को यातायात के नियमों का पालन करने का संदेश देते हैं. उनकी अलग ही कार्यप्रणाली के चलते हुए हमेशा लोगों के लिए मुस्कुराहट का कारण भी बन जाते हैं.
'सजा से ज्यादा समझाने पर देता हूं जोर'
साल 2010 में सिपाही के पद पर पुलिस महकमे में सेवाएं देने के लिए आए भागवत प्रसाद पांडे ने अपनी मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा के चलते साल 2017 में सूबेदार का पद हासिल कर लिया. सूबेदार भागवत प्रसाद पांडे बताते हैं कि वे पुलिस महकमे में आने से पहले ही कविता पाठ करते थे. उन्हें साहित्य बेहद पसंद है. उनका मानना है कि चालानी कार्रवाई करके सजा दी जा सकती है, लेकिन समझाते हुए नियमों का पालन करने का संदेश दिल में उतारा जा सकता है, इसलिए सजा से ज्यादा वे समझाइश पर जोर देते हैं.
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