IIM Indore News: बांस से निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और उनके लिए बेहतर मार्केटिंग और बाजार की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है. इसके समाधान के लिए आईआईएम इंदौर ने एक नवीन पहल की है. इसके तहत बम्बू इकॉनमी को मजबूती देने के लिए आईआईएम का हरदा जिले में पायलट प्रोजेक्ट पूरा हुआ है. इस प्रोजेक्ट के जरिए किसानों को बांस की खेती के फायदे और उसकी मार्केटिंग के बारे में बताया गया.
क्या करेगा आईआईएम इंदौर
इस वर्ष की शुरुआत में आईआईएम इंदौर ने हरदा जिले में सरकार की 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) स्कीम के तहत चयनित बांस से निर्मित उत्पादों को लेकर एक अध्ययन की शुरुआत की थी. इस अध्ययन के तहत आईआईएम की टीम ने हरदा जिले के बांस उत्पादकों, बांसों से विभिन्न उत्पाद बनाने वाले कारीगरों और जिले के संबंधित अधिकारियों का सर्वे और इंटरव्यू किए गए. इसके माध्यम से बांस से निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता, बेहतर मार्केटिंग और बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करने से जुड़ी चुनौतियों के बारे में जानने का प्रयास से किया था.सभी स्टेक होल्डर्स के विचारों का एनालिसिस कर आईआईएम ने एक रिसर्च रिपोर्ट बनाई है.इस रिपोर्ट को मंगलवार को आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने जिलाधिकारी हरदा को सौंपा.
प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि आईआईएम इंदौर ने हरदा के जिला प्रशासन के साथ हाथ गत वर्ष एमओयू किया था. इसके बाद आईआईएम की टीम ने हरदा का दौरा किया. इसके बाद हरदा जिले में बांस उत्पादन की संभावनाओं और यहां उत्पादित बांस के उत्पादों के लिए बाजार की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार की गई है.उन्होने कहा कि बांस और उसके उत्पादों के विक्रय से हरदा जिले के बांस उत्पादकों के जीवन स्तर में निश्चित ही सुधार आएगा.
किसानों को क्या होगा फायदा
हरदा के जिलाधिकारी ऋषि गर्ग ने जिले के विकास में आईआईएम इंदौर का सहयोग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि आईआईएम इंदौर की मदद से हरदा जिले के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के अंतर्गत चयनित बांस का उत्पादन और निर्यात बढ़ा सकेंगे. इससे बांस उत्पादकों की आय बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा. आईआईएम की इस रिसर्च प्रोजेक्ट टीम का नेतृत्व स्वयं निदेशक हिमांशु राय ने किया. प्रो. भवानी शंकर और नवीन कृष्ण राय इस टीम के सदस्य थे.
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