Indore News: आईआईटी (IIT) इंदौर (Indore) को 2020 में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किए तीन साल पूरे हो चुके हैं. इन तीन सालों की उपलब्धि भी बेमिसाल रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीती के तहत आईआईटी में बच्चों के शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर बहुत काम किया गया और कई नवाचार भी किए गए. इन्हीं में से एक नवाचार मेकर्स स्पेस है. सात करोड़ की लागत से बनाया गया ये मेकर स्पेस छात्रों के लिए बड़ी सौगात है. 


राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन साल पूरे होने के बाद आईआईटी इंदौर ने नई शुरुआत की. यहां ऐसी लैब शुरू की गई है, जिसे टेबल टॉप लैब नाम दिया गया. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने बताया कि ये एक छोटी फैक्टरी की तरह होगी. यहां छोटी मशीनों से असली फैक्टरी में काम कैसे होता है, छात्रों को ये बताया जाएगा. यही नहीं बच्चे अपना प्रोडक्ट खुद बना पाएंगे. मेकर स्पेस नाम से बनाई इस टेबल टॉप लैब में आईआईटी इंदौर ने सात करोड़ का बजट खर्च किया है.






बच्चों को नई-नई मशीनें कराई गई हैं उपलब्ध
इसमें बच्चों को नई-नई मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं, जहां बच्चे इन मशीनों से नवाचार सीखेंगे. इतना ही नहीं बीटेक फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स भी यहां अनिवार्य रूप से काम करेंगे और असाइनमेंट के तौर पर उन्हें कुछ प्रोडक्ट बनाने को दिए जाएंगे. इस लैब में जो उपकरण उपलब्ध हैं, वो भी आधुनिक है और उनकी प्रोग्रामिंग भी आसानी से की जा सकती है. आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि यहां पर थ्रीडी प्रिंटिंग, लेजर ड्रिलिंग मशीन और फैब्रिकेशन जैसे उपकरण और उनकी प्रोग्रामिंग की सुविधाएं उपलब्ध हैं.


पांच दिन का ओरिएंटेशन प्रोग्राम
उन्होंने बताया कि बच्चे यहां लकड़ी, प्लास्टिक और मेटल के प्रोडक्ट्स और बाकी अन्य इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट भी बना पाएंगे. इतना ही नहीं गर्मी की छुट्टियों में यहां बीटेक सेकेंड और थर्ड ईयर के 50 से ज्यादा बच्चों ने कैंपस में ही स्टे करके इन मशीनों से क्या नवाचार किया जा सकता है, इस पर भी काम किया. प्रोफेसर सुहास जोशी ने बताया कि हम इस साल के आईआईटी के बच्चों के लिए पांच दिन का ओरिएंटेशन प्रोग्राम रख रहे हैं, जो पहले तीन दिन का होता था. फर्स्ट ईयर के बच्चों को उनकी पसंद के मुताबिक, सब्जेक्ट पढ़ने की स्वतंत्रता दी जाती है.


सातवां सेमेस्टर प्रोजेक्ट को समर्पित
प्रोफेसर जोशी ने बताया कि आईआईटी में इलेक्टिव की हिस्सेदारी बढ़ाकर चार फीसदी से 12 फीसदी कर दी गई. ओपन इलेक्टिव को बढ़ाकर चार से 11 फीसदी कर दिया गया. वहीं अनुभव आधारित शिक्षण को बढ़ाते हुए 10 से 15 फीसदी कर दिया गया. सातवां सेमेस्टर प्रोजेक्ट को समर्पित है और इसमें बच्चे किसी भी इंडस्ट्री की समस्या का समाधान ढूंढ सकेंगे. अगर सरकारी कॉलेजों की बात की जाए तो प्रदेश के 50 बच्चे अंतिम सेमेस्टर की पढ़ाई अब आईआईटी में कर पाएंगे .


आईआईटी 29 जुलाई को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार के साथ एक एमओयू करने जा रहा है. इसके माध्यम से सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के 50 बच्चे आईआईटी में लास्ट ईयर की पढ़ाई कर पाएंगे. यह एक तरह का नवाचार है और इसके लिए बच्चों को उनके कॉलेज द्वारा नॉमिनेट किए जाएंगे. वहीं परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए बच्चों का सलेक्शन हो सकेगा.


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