सांसदों और विधायकों को लाखों में वेतन भत्ते तो मिलते ही हैं साथ ही उन्हें आवास से लेकर तमाम तरह की सुविधाएं भी मिलती है. वहीं आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इन सासंदों और विधायकों के वेतन भत्ते से जो आय है उस पर इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. गौरतलब है कि देश के 9 राज्यों में पहले ये व्यवस्था थी जहां सरकार द्वारा जनता के पैसों से इन सांसदों-विधायकों का इनकम टैक्स भरा जाता था. हालांकि 2019 में यूपी और हिमाचल प्रदेश में इस व्यवस्था पर रोक लग गई थी लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीगढ़ में आज भी माननीयों के टैक्स को जनता के पैसों से ही भरा जाता है.
बता दें कि मध्य प्रदेश की विधानसभा में विधायकों की संख्या 230 है जबकि छत्तीसगढ़ की विधानसभा में 90 विधायक हैं. इन विधायकों की आय पर बनने वाले लाखों रुपये के टैक्स की भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाती है.
मध्य प्रदेश में क्या है विधायकों की आय पर टैक्स सिस्टम
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश राज्य में सीएम से लेकर मंत्रियों तक का टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष से लेकर उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के इनकम टैक्स की भरपाई विधान सचिवालय द्वारा की जाती है. बता दें कि एमपी में विधायकों का मूल वेतन 30 हजार रुपये है जो कि आयकर के दायर में नहीं है.
छत्तीसगढ़ में विधायकों की आय पर टैक्स का क्या है सिस्टम
छत्तीसगढ़ राज्य की बात करें तो यहां भी सभी विधायकों का आयकर राज्य सरकार द्वारा ही भरा जाता है. ये व्यवस्था यहां राज्य के गठन यानी साल 2000 से ही लागू है. प्रदेश में 90 विधायक हैं.
इन राज्यों में भी विधायकों का टैक्स राज्य सरकार भरती है
बता दें कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ही नहीं हरियाणा, झाऱखंड़ और पंजाब सहित कई दूसरे राज्यों में भी विधायकों का टैक्स वहां की राज्य सरकार द्वारा भरा जाता है. हालांकि कई राज्यों में इसके खिलाफ आवाज भी बुलंद हो चुकी है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है.
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