Independence Day 2022 Special: पांच पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा उज्जैन का ये परिवार, बेटे की शहादत के बावजूद जज्बा अटूट
Independence Day: देश सेवा के जज्बे का सबसे बड़ा उदाहरण उज्जैन का चौहान परिवार को बताया जा सकता है. चौहान परिवार आजादी के बाद से ही पीढ़ी दर पीढ़ी सदस्यों को सेना में भेज रहा है.
Independence Day 2022: देश सेवा के जज्बे का सबसे बड़ा उदाहरण उज्जैन का चौहान परिवार को बताया जा सकता है. चौहान परिवार आजादी के बाद से ही पीढ़ी दर पीढ़ी सदस्यों को सेना में भेज रहा है. साल 2004 में जवान बेटे जीतेंद्र सिंह चौहान को खोने के बाद भी परिवार का जज्बा कम नहीं हुआ है. अब नई पीढ़ी के युवा बच्चों को सेना में भेजने की तैयारी की जा रही है. चौहान परिवार के मुखिया ध्रुव सिंह चौहान गणेश नगर इलाके में रहते हैं. उनका दावा है कि दादा, पिता, ससुर, बेटे भारतीय सेना से रिटायर्ड हुए हैं. परिवार के कई सदस्यों ने लड़ाई में हिस्सा लेकर देश की सेवा की है.
धुर्व सिंह के बेटे जितेंद्र सिंह चौहान का जन्म 30 नवंबर 1977 को हुआ था. उन्होंने उज्जैन के महाराज वाड़ा स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा पास करते ही सेना को ज्वाइन कर लिया. उनकी मां कमलाबाई बताती हैं कि आतंकियों से लोहा लेते समय नायक बेटा 23 दिसंबर 2004 को शहीद हो गया. जितेंद्र के बड़े भाई भी सेना से रिटायर हुए हैं. चौहान परिवार के मुताबिक जितेन्द्र सिंह चौहान 56 राष्ट्रीय राइफल में पदस्थ थे. उन्हें कई बार सेना की तरफ से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया.
चौहान परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में दे रहा सेवा
गणेश नगर इलाके में प्रवेश करते समय मुख्य द्वार पर शहीद जितेंद्र सिंह चौहान का नाम लिखा हुआ है. शहीद के पिता ध्रुव सिंह चौहान बताते हैं कि उनके पूरे परिवार ने सब कुछ सर्वस्व देश पर निछावर कर दिया, लेकिन शहीद बेटे ने सभी को पीछे छोड़ दिया. उसने अपनी अंतिम सांस तक भारत को समर्पित कर दी. पिता कहते हैं कि बेटे की शहादत पर गर्व और फक्र महसूस होता है.
सेना मोहल्ला के नाम से जाना जाता है गणेश नगर
गणेश नगर इलाके को सेना मोहल्ला के नाम से भी जाना जाता है. मोहल्ला में ज्यादातर लोग सेना से जुड़े हुए मिल जाएंगे. कुछ युवा अभी भी आर्मी में सेवाएं दे रहे हैं,. कुछ लोग सेवानिवृत्त होकर घर लौट आए हैं. इलाके में रहने वाले रिंकू भगोरिया बताते हैं कि पूरे मोहल्ले में 50 से ज्यादा परिवार के लोग अभी भी आर्मी में है. इसी मोहल्ले के दो जवान सेना में शहीद हो चुके हैं.
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