Indian Railways: वो रात भर जागते हैं, ताकि हम आराम से कर सकें यात्रा, जानें- सर्दियों में कैसे होती है रेल की सुरक्षा?
Indian Railways: रेलवे ट्रैक के सभी सामान्य फिश प्लेट और जोगल फिश प्लेट जॉइंट्स की गहन तरीके से जांच करके उसमें ऑयलिंग और ग्रीसिंग का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है.
Indian Railways: सर्दियों के मौसम में आमतौर पर ट्रेन ऑपरेशन बेहद कठिन और चैलेंजिंग हो जाता है. इस दौरान कोहरे के साथ ही रेल फ्रैक्चर की घटनाएं बढ़ जाती हैं. क्या आप जानते हैं कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड में रेलवे आपकी यात्रा को सुरक्षित कैसे बनाता है? आज हम आपको बताएंगे कि रेलवे द्वारा सर्दियों में रेल पांतों की देखभाल कैसे की जाती है.
सर्दियां पड़ने के साथ ही रेलवे अलर्ट मो में आ जाता है. रेलवे ट्रैक की सुरक्षा और संरक्षा के लिए पश्चिम मध्य रेल (पमरे) द्वारा शीतकालीन सावधानियां बरती जाती हैं. पश्चिम मध्य रेल के सीपीआरओ राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक, शीतकालीन मौसम में रेलगाड़ियों के सुचारू संचालन के लिए ग्राउंड स्टाफ को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
मौसम में बदलाव की वजह से होता है ट्रैक में खिंचाव
मुख्यालय के प्रमुख मुख्य इंजीनियर के निर्देश पर रेलवे ट्रैक की सभी जोड़ पट्टियों की जांच करके उनका लुब्रिकेशन किया जा रहा है. ट्रैक की डी-स्ट्रेसिंग के साथ सभी एलडब्लूआर (लॉन्ग वेल्डेड रेल) की मिसिंग फिटिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में परिवर्तन के कारण ट्रेक में खिंचाव होता है, जिससे उसके टूटने का खतरा बना रहता है. इसी के चलते पश्चिम मध्य रेल के तीनों मण्डलों जबलपुर, भोपाल पर शीतकालीन मौसम के दौरान विंटर प्रिकॉशन का पालन किया जा रहा है.
रेलवे ट्रैक के सभी सामान्य फिश प्लेट और जोगल फिश प्लेट जॉइंट्स की गहन तरीके से जांच करके उसमें ऑयलिंग और ग्रीसिंग का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. इसके अंतर्गत जोड़ों के सामान्य फिश प्लेट और जोड़ो के जोगल फिश प्लेट में ऑयलिंग और ग्रीसिंग का कार्य किया गया. साथ ही सभी बोल्ट और पट्टियों को जांच कर उसे सही तरीके से फिट किया जा रहा है, जिससे सर्द मौसम में ट्रैक के दबाव के समय रेल के खिंचाव में ट्रैक संरक्षित रहें.
खिंचाव को डीस्ट्रेस करना बेहद जरूरी
सर्दी के दिनों में पटरियों में डिस्ट्रेसिंग आम बात है. स्टेशन से स्टेशन के बीच लॉन्ग वेल्डेड रेल ट्रैक होने से शीतकालीन के दौरान खिंचाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है. इस खिंचाव को डीस्ट्रेस करना पड़ता है, ताकि शीतकाल के समय रेलवे में खिंचाव उत्पन्न नहीं हो और रेल संरक्षित रहे.पमरे द्वारा डीस्ट्रेस कार्य किया जा रहा है.
कोहरे के कारण भी अतीत में कई रेल हादसे हुए हैं. इस वजह से सर्दियों में पेट्रोलिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कड़कड़ाती ठंड में पेट्रोलमैन रेल पटरी की पेट्रोलिंग कर रहे हैं. पमरे में अधिक से अधिक पेट्रोलमैनों को पेट्रोलिंग करने के लिए लगाया गया है. वे रात्रि 11 बजे से सुबह 7.00 बजे तक सभी पेट्रोलिंग उपकरणों और ट्रैक को सुरक्षित रखने के लिए औजार के साथ ट्रैक की निगरानी कर रहे हैं.
पेट्रोलमैन से संपर्क साधने का तरीका
इसके साथ ही, सभी पेट्रोलमैन को जीपीएस ट्रैकर यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम दिया गया, जिससे पेट्रोलिंग के समय इन पर निगरानी रखी जा सके. इसके अलावा, आपातकालीन स्थिति में इसी ट्रैकर की मदद से मोबाइल फोन द्वारा पेट्रोलमैन से कम्यूनिकेशन किया जा सकता है. इस तरह के तमाम उपाय करके रेलवे परियों पर सुरक्षित ट्रेन दौड़ाने के जतन कर रहा है ताकि लोग बेफिक्र होकर यात्रा कर सकें.
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