Chaitra Navratri 2023: माता त्रिपुर सुंदरी राज राजेश्वरी के प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव में आई थीं इंदिरा गांधी, यहां पूरी होती है हर मनोकामना
MP News: नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी की दूरी पर यह अद्भुत पावन धाम स्थित है. वहां श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर है.इस स्थान को परमहंसी गंगा आश्रम के नाम से जाना जाता है
Chaitra Navratri 2023: ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की तपस्थली परमहंसी गंगा आश्रम स्थित माता राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के मंदिर में नवरात्र के मौके पर विशेष पूजन के साथ ही अखंड ज्योति कलश की स्थापना की गई है.मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित इस मंदिर में चैत्र नवरात्र के मौके पर माता की प्रतिमा का विविध सामग्री से प्रतिदिन नूतन श्रृंगार किया जा रहा है.
प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव में आई थीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
यहां बता दें कि इस मंदिर में माता की प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी शामिल हुई थीं.पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी,पीवी नरसिम्हाराव,पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सहित तमाम नामी हस्तियां यहां दर्शन-पूजन के लिए आ चुकी हैं.
नवरात्र के पावन अवसर पर आज हम आपको नरसिंहपुर के जिले के परमहंसी गंगा आश्रम लेकर के चलते हैं.यहां घने जंगलों में प्राकृतिक वादियों में विराजमान हैं मां राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता.मां त्रिपुर सुंदरी अपने भक्तों को भोग और मोक्ष देने वाली हैं.यह धाम ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की तपोस्थली भी है.शंकरचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पिछले साल ब्रम्हलीन हो गए थे.
नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर यह अद्भुत पावन धाम स्थित है. वहां श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर है.इस स्थान को परमहंसी गंगा आश्रम के नाम से जाना जाता है.ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा बनाए गए इस मंदिर का लोकार्पण 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में किया गया था.आसपास के कई किलोमीटर में यह सबसे विशाल और दक्षिण शैली का खूबसूरत मंदिर है.माता त्रिपुर सुंदरी का मंदिर अनूठा और आदित्य है. ये मंदिर करीब 225 फीट ऊंचा है. इसका निर्माण 1965 में शुरू हुआ था. इसमें 1982 में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. इस मंदिर का निर्माण दक्षिण के कलाकारों ने किया था.इसलिए मंदिर में दक्षिण भारत की कला दिखाई पड़ती है.इसकी खूबसूरती और भव्यता देखने योग्य है.
श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर का निर्माण कितने सालों में हुआ
ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की शिष्या कल्याणी पांडेय बताती है कि श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता के मंदिर के निर्माण में करीब 18 साल लग गए.इसकी विशाल संरचना की ऊंचाई के कारण कई किलोमीटर की दूरी से भी यह मंदिर देखा जा सकता है.यह जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज का ध्यान और पूजा स्थल भी है. इसी परमहंसी गंगा आश्रम के बियाबान जंगलों में उन्होंने बाल्यावस्था में कठिन तपस्या की थी.
इस मंदिर में चौसठ योगिनी माता भी विराजमान हैं.यहां इनके एक साथ दर्शन करने का पुण्य लाभ प्राप्त होता है. नवरात्र के पावन अवसर पर माता राजराजेश्वरी का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है. उनके दिव्य दर्शन भक्तों को होते हैं.माता त्रिपुर सुंदरी के दिव्य ग्रह की स्थापना अगन शुभ एकादशी के दिन गीता जयंती पर 26 दिसंबर 1982 को हुई थी. मंदिर की परिक्रमा में चौसठ योगिनी मूर्तियां स्थापित की गई हैं.मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में है. मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का गर्भ गृह चांदी के पात्रों से सुसज्जित और अलंकृत किया गया है.मूर्तियां अत्यंत मनोहारी और चमत्कारी हैं.यहां कुल 87 मूर्तियां विराजमान हैं.साल भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.विशेष तौर पर नवरात्र में यहां श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं.
झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम अब धार्मिक पर्यटक स्थल का रूप ले चुका है.यहां विराजमान मां राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के दर्शन करने और अपनी मनोकामना लेकर लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं.यह माता राज राजेश्वरी का श्री विद्या पीठ मंदिर है.यहां पर चौसठ योगिनी माता विराजमान हैं.मान्यता है कि इनका पूजन और पाठ करने से हर बाधा दूर होती है.
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