Indore Corona News: इंदौर में तीसरी लहर में 38 फीसदी से अधिक कोविड की मौत 60 वर्ष से कम आयु के लोगों में हुई है. जिनमें दो 17 वर्ष और एक शिशु शामिल हैं. मरने वालों में से लगभग 70 फीसदी को पूरी तरह से टीका लगाया गया था. जिले ने 25 दिसंबर से 10 फरवरी के बीच 60 कोविड की मौत की सूचना दी. उनमें से तेईस 60 वर्ष से कम आयु के थे और उनमें से 80 फीसदी 41-60 आयु वर्ग के थे.


मरने वालों में ज्यादातर एक से अधिक बीमारी से पीड़ित थे


टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने कहा कि इंदौर में तीसरी लहर में लगभग सभी कोविड-19 मौतों में रोगियों के संक्रमित होने से पहले वे एक या एक से अधिक बीमारी से पीड़ित थे. उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं थीं. 60 वर्ष से कम आयु के अधिकांश लोग जिनकी तीसरी लहर में मृत्यु हुई उनमें हृदय और गुर्दे की जटिलताएं थीं. कुछ की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी और कुछ को जन्मजात समस्याएं थीं.


3 नाबालिगों को क्या समस्याएं थी?


मरने वाले तीन नाबालिगों में से एक को सेप्सिस (sepsis) और एनीमिया था. दूसरे ने जहर खा लिया था और वह कोविड से संक्रमित था. चार महीने की बच्ची को जन्मजात गुर्दे की समस्या थी और वह डायलिसिस पर थी. 


70 फीसदी ले चुके थे टीके की दोनों डोज 


स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि तीसरी लहर में मरने वाले 60 में से लगभग 70 फीसदी को पूरी तरह से टीका लगाया गया था और चार ने अपनी पहली खुराक ली थी. यह पूछे जाने पर कि पूरी तरह से टीका लगाने वाले की मृत्यु क्यों हुई तो इसपर डॉ. दीक्षित ने कहा, इस बात की अधिक संभावना है कि वे प्रतिरक्षाविहीन रोगी थे (immunocompromised patients) और मृत्यु को रोकने के लिए आवश्यक प्रतिरक्षा का स्तर उनकी बीमारी के कारण टीकों के साथ उत्पन्न नहीं हुआ था. आमतौर पर हालांकि कोविड के टीकों ने इसे रोकने में मदद की है.


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