पीड़ित ने अधिकारियों को बताया कि उसने आरोपी द्वारा बताए अनुसार किश्तों में पैसे ट्रांसफर किए हैं. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी एक वेब डेवलपर है और ऑस्ट्रेलिया से शिकायतकर्ता ने एक वेबसाइट के माध्यम से उससे संपर्क किया था. शिकायतकर्ता ने उसे वीडियो कॉलिंग और कॉन्फ्रेंसिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कहा और अपने वेब ब्राउजर की कुछ जानकारी भेजी.
NGO बनाने के लिए मांगे थे पैसे
फिर आरोपी ने उसे बताया कि उसे Apple के वेब ब्राउज़र पर अपना एप्लिकेशन चलाने में कठिनाई हो रही है और iPhone, iPad, MacBook आदि पर चलाने के लिए एक स्पेशल एप्लिकेशन बनाने के लिए टेक्निकल कोड की जरूरत है. बाद में आरोपी ने पीड़ित विदेशी नागरिक से Apple कंपनी का पार्टनर बनने और कंपनी के शेयर खरीदने के बहाने पैसे लिए, लेकिन उसने पीड़ित को शेयर सर्टिफिकेट्स नहीं दिया. उसने आगे यह कहते हुए पैसे मांगे कि उसे इसके लिए एक NGO बनाने की जरूरत है.
आरोपी ने की अग्रिम जमानत लेने की कोशिश
इधर आरोपी को एफआईआर के बारे में जानकारी मिली तो उसने कोर्ट से अग्रिम जमानत लेने की कोशिश की थी, लेकिन कोर्ट द्वारा उसकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी गई थी. आरोपी ने अपना पुराना घर भी बेच दिया था, इसलिए साइबर सेल के अधिकारियों को उसे गिरफ्तार करने में थोड़ी परेशानी भी हुई.
अपनी वेबसाइट पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था पीड़ित
आरोपी ने अधिकारियों को बताया कि विदेशी नागरिक ने एक वेबसाइट का डोमेन खरीदा था और आरोपी ने उस पर काम करने के बहाने डोमेन लिया था. वेबसाइट की होस्टिंग भी उसने आरोपी को ट्रांसफर कर दी थी. आरोपी शिकायतकर्ता की वेबसाइट पर काम कर रहा था और विदेशी नागरिक अपनी वेबसाइट के कंट्रोल पैनल तक नहीं पहुंच पा रहा था. अधिकारियों ने ईमेल के जरिए एप्पल कंपनी और स्काइप को भी जानकारी भेजी है और मामले की आगे की जांच जारी है.
ये भी पढ़ें - MP: जबलपुर में सिरफिरे आशिकों का आंतक! तीन दिन में दो नाबालिग लड़कियों की एकतरफा इश्क में हत्या