Indore News: इंदौर में एक कलाकार ने 2000 पीतल के पन्नों वाली संविधान की किताब तैयार की है. किताब को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में जारी किया गया. अनोखी किताब का उद्देश्य नागरिकों को भारतीय संविधान के मूल अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है. 


किताब भारतीय संविधान को हिंदी, संस्कृत और मराठी भाषाओं में प्रस्तुत करती है. इसमें अमर शहीदों के चित्र, भारतीय रियासतों के विवरण, लोकसभा और राज्यसभा की प्रक्रियाओं के नियम शामिल हैं. विश्व के 193 देशों के प्रतीक चिन्हों को भी किताब में स्थान दिया गया है. वहीं, किताब में 48 गेज की पीतल की शीट का उपयोग किया गया है. लेजर प्रिंटिंग के लिए पीएलटी फाइल तैयार की गई और 299 घंटों में छपाई की गई. हर पृष्ठ को हाथ से काटकर फिनिश किया गया है. 


पेज का आकार 5 इंच चौड़ा और 7 इंच लंबा है


2023 में 193 देशों के संविधान की 57 किलो वजनी और 4 फीट लंबी किताब और 2022 में भारतीय संविधान की 32 किलो वजनी और 54 पन्नों की पीतल की किताब बनाई गई थी. इसके अलावा, 2023 में यूएनओ हेडक्वार्टर और भारतीय संविधान सभा गृह भी पीतल से बनाया गया. परियोजना के लिए धन भारतीय नागरिकों से सहयोग के रूप में जुटाया गया. सभी राजनीतिक दल, अधिवक्ता, प्रशासन और आम नागरिकों ने अहम योगदान दिया. पेज का आकार 5 इंच चौड़ा और 7 इंच लंबा है.






संविधान के प्रति जागरूकता लाना मकसद


पीतल की धातु से तैयार प्रतिलिप भारतीय संविधान और लोकतंत्र के प्रति नागरिकों की निष्ठा और जागरूकता बढ़ाने का एक ऐतिहासिक कदम है. किताब केवल भारतीय संविधान के महत्व को रेखांकित नहीं करती, बल्कि  दुनिया को भारत की लोकतांत्रिक और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का परिचय भी कराती है. इसमें समाहित अमर शहीदों के चित्र और रियासतों के इतिहास भारत के गौरवशाली अतीत की झलक प्रस्तुत करते हैं. परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र और संविधान के प्रति समर्पित देश के रूप में स्थापित करने का एक प्रयास है.  


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