Indore: पीतल से तैयार की 32 किलो वजनी संविधान की प्रति, 5 हजार लोगों से लिए 10-10 रुपए
हमेशा कुछ अलग कर गुजरने की चाहत ही आपको सबसे अलग पहचान दिलाती है. लोकेश मंगल ने पीतल से संविधान की प्रति तैयार कर बड़ा नाम कमाया है. उन्होंने चर्चा के बाद अनूठा काम करने की ठानी.
Indore News: सबसे साफ इंदौर शहर को हमेशा नवाचार के लिए जाना जाता है. एक बार फिर इंदौर वासी ने नवाचार कर अनूठी संविधान की प्रति तैयार की है. 29 वर्षीय एडवोकेट लोकेश ने पीतल से करीब 32 किलो वजनी 54 पन्नों की संविधान की प्रतिलिपि तैयार की है. पीतल से संविधान की प्रति तैयार करने वाले लोकेश मंगल का कहना है कि हमेशा कुछ अलग कर गुजरने की चाहत ही आपको सबसे अलग पहचान दिलाती है. उन्होंने बताया कि चित्रों के माध्यम से संविधान की मूल भावना को दर्शाया गया है. पीतल के पन्नों की संविधान की प्रतिलिपि तैयार करने से पहले 25 सांसदों, 45 विधायकों, 20 कलेक्टर और 17 संविधान विशेषज्ञों की राय ली गई थी. लोकेश ने बताया कि संविधान की प्रतिलिपि के पहले और आखिरी पन्ने को लेजर से प्रिंट किया गया है बाकी अन्य जगह पर दो तरफा प्रिंट है.
पीतल से 32 किलो वजनी संविधान की प्रति तैयार
संविधान की प्रतिलिपि में कुल 106 प्रिंट और 32 किलो वजनी 54 पन्नों को तैयार करने में करीब साढ़े तीन माह का समय लगा. दिलचस्प बात है की प्रिंट मात्र 14 घंटे में चित्रों के माध्यम से बनाया गया. हर व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद को नहीं समझता है लेकिन चित्र को जरूर समझता है. यही मुख्य वजह है कि केवल इसे चित्रों से दर्शाया गया है. पीतल से बनाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि संविधान विशेषज्ञों, धर्म गुरुओं ने पीतल को शुद्ध बताया है. यही वजह है की स्थाई दस्तावेज और अमर गाथा के लिए पीतल का ही चयन किया गया है. अब सबसे शुद्ध धर्म में भी माना गया है. फिलहाल दो प्रति तैयार करने में करीब 49 हजार रु की लागत आई है.
5 हजार लोगों से ली 10-10 रुपए की सहयोग राशि
प्रतिलिपि को बनाने के लिए हर शख्स से 10 - 10 रु लिए गए हैं. कुल 4 हजार नौ सो लोगों ने पैसा जमा कर योगदान किया है. आगे बनाने के लिए भी सहयोग के पैसे से लिए जाएंगे. लोकेश का कहना है कि संविधान को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत की प्रेरणा से तैयार किया गया है. यही कारण है की एक प्रति उनको भेंट भी की गई है. संविधान में जलेबी का भी जिक्र किया है उन्होंने कहा कि कई लोगों को पता नहीं है कि हमारा राष्ट्रीय पकवान जलेबी है. अब आने वाले समय में 185 देशों के संविधान को एक किताब में उकेरने का प्रयास कर रहे हैं. उम्मीद है आने वाले 6 से 7 महीने के दौरान तैयार कर लिया जाएगा ताकि विश्व पटल पर भारत अलग छाप छोड़ सके.