Indore Corona Update: इंदौर संभाग में कोरोना की तीसरी लहर भयावह साबित नहीं हुई. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संभाग के 8 में से 5 जिलों में कोविड-19 के कारण एक भी मौत का मामला उजागर नहीं हुआ. इससे पहले कोरोना की दूसरी लहर ने मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई इंदौर को कोरोना का हॉट स्पॉट बना दिया था. कोरोना की तीसरी लहर में भी स्थिति बेकाबू होने के डर से लोग भयभीत थे. लेकिन टीकाकरण और सरकारी प्रयासों के नतीजे में तीसरी लहर की आशंका को मात दे दिया गया. 


संभाग के 5 जिलों में एक भी मौत कोरोना से नहीं       
साल 2021 की शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर उफान पर थी. इस दौरान इंदौर जिले सहित समूचे संभाग में लाशों के ढेर लग रहे थे. तीसरी लहर की आमद के पहले टीकाकरण का काम युद्ध स्तर पर चलाया गया और उसी का परिणाम है कि इस दफा इंदौर संभाग में पहले के मुकाबले अपेक्षाकृत कम हानि हुई. क्षेत्रीय निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) इंदौर संभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक आठ जिलों में से पांच जिलों में दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह से लेकर जनवरी माह के अंतिम सप्ताह तक कोरोना संक्रमित किसी भी शख्स की मौत का मामला सामने नहीं आया है. बताया जा रहा है कि बीते एक माह के दौरान इंदौर संभाग में कोरोना संक्रमित लोगों में से 32 लोगों की मौत हुई है, मृतकों में 25 का आंकड़ा अकेले इंदौर जिले से है. 


टीकाकरण की वजह से भवायह नहीं हुई तीसरी लहर
क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. अशोक डागरिया के मुताबिक 25 दिसंबर से लेकर 29 जनवरी तक अलीराजपुर, झाबुआ, धार, खंडवा और बुरहानपुर जैसे आदिवासी इलाकों में भी किसी शख्स ने कोरोना के कारण जान नहीं गंवाया. उन्होंने राहत के पीछे टीकाकरण कार्यक्रम का असर माना है. डागरिया ने लोगों के कोविड अनुरूप व्यवहार के पालन को भी क्रेडिट दिया है. उनका कहना है कि सरकारी गाइडलाइन का पालन जिम्मेदारी से किया गया. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के दौरान कोरोना से मरनेवालों में अधिकतर बुजुर्ग लोग शामिल हैं क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर थी. उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव सबसे ज्यादा इंदौर जिले में देखा गया.


करीब 55 हजार लोग संक्रमण का शिकार हुए है, दूसरे नंबर पर खरगोन में 3 हजार और बड़वानी में 1200 लोग कोरोना की चपेट में आए. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में तीसरी लहर के पहले ही 80 से 90 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण किया जा चुका था और इसी का परिणाम है कि राज्य में संक्रमण का असर कम देखा जा रहा है. हालांकि इंदौर संभाग के आंकड़े बढ़े हुए इसलिए नजर आ रहे हैं क्योंकि जिले में जनसंख्या घनत्व अधिक है और ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है. लिहाजा संभाग में अकेले इंदौर जिले को छोड़कर हालात बेहतर ही माने जा सकते हैं.


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