इंदौर में बुजुर्ग महिला के साथ साइबर फ्रॉड, ठगों ने हड़पे 46 लाख रुपये
MP News: इंदौर में साइबर अपराधियों ने 65 वर्षीय महिला को 5 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा. खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए उन्होंने महिला को डराया और धमकाया.
Looted By Digital Arrest In Indore: इंदौर में एक बार फिर से डिजिटल अरेस्ट का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें साइबर अपराधियों ने 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला को अपने जाल में फंसाकर पांच दिन तक डिजिटल रूप से बंधक बनाकर 46 लाख रुपये की ठगी कर ली. यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते मामलों की एक और कड़ी है, जहां अपराधियों ने तकनीक और मानसिक दबाव का सहारा लेकर वृद्धा को बुरी तरह फंसा लिया.
कैसे हुआ पूरा मामला?
यह घटना इंदौर की है, जहां 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला अकेले रहती हैं और उनका एक बेटा बाहर रहता है. साइबर अपराधियों ने पहले महिला को फोन कर खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अधिकारी बताया. फोन पर उन्होंने कहा कि उनके मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है और उनकी जानकारी पर कार्रवाई की जाएगी. इस तरह महिला को डराकर अपराधियों ने अपना खेल शुरू किया.
अफसर बनकर डराया और ठगा
इसके बाद ठगों ने बुजुर्ग महिला को सीबीआई और क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर कॉल किया और यह दावा किया कि उनकी जानकारियों का गलत उपयोग हो रहा है. पांच दिनों तक लगातार फोन कर अपराधियों ने महिला को मानसिक दबाव में रखा और उन्हें विश्वास दिलाया कि अगर वे उनके निर्देशों का पालन नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ गंभीर कार्रवाई की जाएगी. इस डर से महिला ने वैसा ही किया जैसा ठग कहते रहे.
46 लाख रुपये की ठगी
अपराधियों ने महिला से 46 लाख रुपये की बड़ी रकम ठग ली. वे लगातार उन्हें निर्देशित करते रहे कि किस तरह से बैंकिंग और ऑनलाइन लेनदेन के जरिए पैसे ट्रांसफर करें. महिला पर इतना मानसिक दबाव डाला गया कि उन्होंने बिना किसी प्रतिरोध के ठगों की सभी बातों का पालन किया. पांच दिनों तक चले इस डिजिटल बंधक बनाए रखने के दौरान महिला ने किसी से संपर्क नहीं किया और न ही किसी को इस घटना की जानकारी दी.
इंदौर क्राइम ब्रांच की जांच
मामले की जानकारी तब सामने आई जब महिला के रिश्तेदारों को उनके व्यवहार में कुछ असामान्य बदलाव दिखाई दिया. इसके बाद महिला ने पूरी घटना अपने परिवार को बताई और तुरंत पुलिस को सूचित किया गया. इंदौर क्राइम ब्रांच ने अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है. पुलिस के अनुसार, यह ठगी का एक अत्यधिक सोचा-समझा और मानसिक दबाव वाला साइबर अपराध है, जिसमें अपराधियों ने बुजुर्ग महिला की भावनात्मक और मानसिक स्थिति का फायदा उठाया.
बुजुर्ग और अकेले रह रहे लोगों को सतर्कता की जरूरत
इंदौर में इससे पहले भी एक डॉक्टर और अन्य कई नामचीन लोग इस जाल में फंस चुके हैं. घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि साइबर अपराधी अब न केवल तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि मानसिक दबाव का सहारा लेकर लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे मामलों में बुजुर्ग और अकेले रह रहे लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है, ताकि वे इस तरह की ठगी का शिकार न बनें.इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में जांच को तेज कर दिया है
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