Success Story: पिता चलाते हैं जज की गाड़ी, बेटी ने सिविल जज की परीक्षा में बाजी मारकर किया कमाल
पढ़ाई के लिए वंशिता को इंदौर भेजने में परिजनों की सहमति नहीं थी. उन्होंने कहा था कि बच्ची को बाहर मत भेजो लेकिन माता पिता ने परवाह नहीं की. उन्होंने ठान लिया था कि कैरियर के लिए कुछ भी करेंगे.
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Success Stroy: इंदौर के एक ड्राइवर की बेटी ने कामयाबी की नई कहानी लिखी है. सिविल जज के आए परिणाम में बिटिया ने बाजी मार ली है. बिटिया की कामयाबी पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. कानून की पढ़ाई के साथ ही वंशिता गुप्ता जज बनने का सपना देखने लगी थी. कोर्ट परिसर में पिता के साथ जाने से एहसास हुआ कि न्यायिक क्षेत्र में भी कैरियर की संभावना है. सिविल जज बनी वंशिता गुप्ता पहले पायलट बनना चाहती थी. लेकिन कानून की पढ़ाई ने जज बनने को प्रेरित किया. वंशिता के पिता नीमच कोर्ट के जज की गाड़ी चलाते हैं.
कोर्ट में ड्राइवर की बेटी सिविल जज बन रचा इतिहास
10वीं की पढ़ाई के दौरान ही वंशिता ने न्यायिक सेवा में जाने का लक्ष्य तय कर लिया था. वंशिता गुप्ता कामयाबी का श्रेय माता-पिता, न्यायपालिका परिवार और मार्गदर्शक को देती हैं. पापा का सपना पूरा करने वाली वंशिता गुप्ता ने बताया कि मां इंग्लिश टीचर है. मां के इंग्लिश टीचर होने का फायदा मिला और आज दिन रात मेहनत कर इस मुकाम तक पहुंच पाई. वंशिता गुप्ता की मां मीना गुप्ता का कहना है कि बेटी बचपन से ही ब्रिलियंट रही है.
परिजनों ने पढ़ाई के लिए बाहर भेजने को किया था मना
पढ़ाई के लिए वंशिता को इंदौर भेजने में परिजनों की सहमति नहीं थी. उन्होंने कहा था कि बच्ची को बाहर मत भेजो लेकिन हम दोनों पति-पत्नी ने निश्चय कर लिया था कि कैरियर के लिए कुछ भी करेंगे. आज उसी का परिणाम सामने आया है. सिविल जज बन चुकी वंशिता के पिता ने बताया कि मेरा सपना था कि मैं अपने दोनों बच्चो में से किसी एक को बड़े पद पर देखूं और उनका भी ड्राइवर बनूं.
मैं कोर्ट में ड्राइवर के तौर पर साहब लोगों को छोड़ता हूं. वंशिता गुप्ता के पिता अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि अब उनका सपना पूरा हो गया है. नीमच में रहकर मेरी पत्नि और मेरे देखे सपने आज साकार हो गये. मैं खुशी को बयान नहीं कर सकता. मुझे बेटी पर फख्र है. बता दें कि वंशिता गुप्ता ने इंदौर में ही रहकर पढ़ाई की और यहीं से एग्जाम भी क्रेक किया. वंशिता को प्रदेश में सातवी रैंक हासिल हुई है.
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