Indore: खोखले दावे खोल रहे बिजली कंपनी की पोल, जरा सी आंधी और घंटों रहती है बत्ती गुल!
Electricity Crisis: लोगों का कहना है कि बिजली दफ्तर में शिकायत के लिए फोन करो तो ज्यादातर नम्बर व्यस्त आते हैं. जिम्मेदार अफसर सवालों के जवाब नहीं देते. बिजली कब आएगी ये तक नहीं बताते.
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Indore Electricity Crisis: मध्य प्रदेश के इंदौर में बिजली विभाग की हालत इतनी खस्ता है कि जरा सी आंधी और तूफान में यहां हंगामा मच जाता है. घंटों तक बिजली गुल रहती है और लोग परेशान होते हैं. शनिवार को भी कमोबेश यही सूरत-ए-हाल देखने को मिला, जहां आंधी और बारिश से दो दर्जन से ज्यादा इलाकों में बिजली गुल रही.
दोपहर बाद बदला मौसम, देर शाम तक गरजे बदरा
इंदौर में शनिवार दोपहर तक मौसम खुला हुआ था. धूप और सूरज की तपन तेज थी, लेकिन शाम चार बजते ही मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिला. देखते ही देखते तेज हवाएं चल निकलीं और आंधी से कई पेड़ धराशायी हो गए. तकरीबन एक घंटे तक लगातार तेज बारिश हुई. प्री मॉनसून की इस बारिश ने आम लोगों के साथ ही बिजली कंपनी के अफसरों और कर्मचारियों को भी परेशान कर दिया. आंधी के चलते कई इलाकों में मसलन पूर्वी और पश्चिमी इंदौर में बिजली गुल रही. कहीं बिजली के तारों पर पेड़ गिरे हुए थे तो कहीं कुछ और हालात बने.
बिजली कंपनी ने किया ये दावा
इधर बिजली कंपनी ने एक लिखित बयान भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिया, जिसमें लिखा कि शनिवार शाम करीब 4.00 बजे तूफान, बारिश, ओले गिरने, मौसम बिगड़ने से इंदौर शहर वृत्त के 525 में से 11 केवी के 22 फीडरों से बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई. 10 जगह लाइनों पर पेड़ गिरे. प्रभावित क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था करीब आधे घंटे में 80 प्रतिशत और एक घंटे में 90 प्रतिशत बहाल की गई. शेष 2/3 प्रभावित फीडरों, एलटी लाइन पर पेड़ गिरे हैं, यहां कार्य तेजी से किया जा रहा है. यह अगले एक-दो घंटे में पूरा कर लिया जाएगा.
इस दौरान 400 कर्मचारी, अधिकारी कार्य पर लगे. व्यक्तिगत शिकायतों 300 फ्यूज ऑफ कॉल (एफओसी) का जोन की टीमों ने भी समाधान किया.
दावों की खुली पोल
इधर बिजली कंपनी भले ही लाख दावे करे कि उसके 400 कर्मचारी मोर्चा संभाले हुए हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है. एबीपी न्यूज ने तकरीबन दर्जनभर लोगों से चर्चा की. लोगों का यही कहना था कि बिजली कंपनी के दफ्तर में शिकायत के लिए फोन लगाओ तो ज्यादातर नम्बर व्यस्त आते हैं. वहीं, जिम्मेदार अफसर सवालों के जवाब नहीं देते. बिजली कब आएगी ये तक नहीं बताते. ऐसे में बिजली उपभोक्ता खुद को ठगा हुआ महसूस करता है.
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